करोड़ों की धोखाधड़ी मामले में ईडी व पुलिस की राडार पर आए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खास और कथित ज्योतिषी केके श्रीवास्तव से जुड़े लोग भी जांच के घेरे में आ गए हैं। एेसे करीब पांच से सात लोगों को जल्द ही पूछताछ के लिए तलब करने की तैयारी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब यह भी जांच रही है कि धोखाधड़ी में श्रीवास्तव के अन्य सहयोगियों की भूमिका रही है और क्या? फंड का निवेश संपत्तियों में किया गया था या इसे विदेशों में भेजा गया था।
मजेस्टिक कामर्शियल के साथ संबंध, जो कथित रूप से किसी अन्य संदिग्ध इकाई के साथ विलय कर चुका है, जांच के दायरे को और विस्तार देता है। पिछले तीन महीने से फरार केके श्रीवास्तव जांच एजेंसी और पुलिस को चकमा देता आ रहा है। उनकी गिरफ्त से बचने वह लगातार फोन और नंबर बदलने के साथ ही पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, दिल्ली और राजस्थान में अपना लोकेशन बदल रहा है, जिससे उसकी गिरफ्तारी मुश्किल हो रही है।
पुलिस ने जांच में यह पाया है कि केके श्रीवास्तव ने दिल्ली और मुंबई में जोमैटो और स्विगी में काम करने वाले लड़कों के नाम से फर्जी बैंक खाता खुलवाकर 500 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन किया है। इस बात की जानकारी रायपुर पुलिस ने ईडी और आयकर विभाग को पत्र लिखकर दी थी। आरोप है कि श्रीवास्तव ने दिल्ली के रावत एसोसिएट के डायरेक्टर अर्जुन रावत को रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड में 500 करोड रुपए का ठेका दिलवाने के नाम से विभिन्न बैंक अकाउंट में 15 करोड़ रुपए डलवाए थे।
रावत एसोसिएट्स कंपनी हाइवे कंस्ट्रक्शन, सरकारी ठेके बिल्डिंग निर्माण और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का काम करती है। कंपनी के डायरेक्टर की केके श्रीवास्तव से मुलाकात 2023 में आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णन के माध्यम से हुई थी। राखड़ और फ्लाई ऐश का काम करने वाले केके श्रीवास्तव ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का करीबी बता ठेका दिलाने के नाम पर 15 करोड़ लिया और काम नहीं दिलाया।
राजनीतिक संपर्कों का उठाया लाभ
फोरेंसिक आडिट ने कई खातों और लेन-देन का पता लगाया है, जो सिस्टमेटिक मनी लाड्रिंग की ओर इशारा करते हैं। गवाहों के बयान से यह भी संकेत मिलता है कि केके श्रीवास्तव ने 15-16 सिम कार्ड खरीदे थे, जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी गतिविधियों में किया गया था। गवाह अब्बास अली ने ईडी के अधिकारियों को बताया है कि ये सिम कार्ड श्रीवास्तव को प्रदान किए गए थे, जो एजेंसी की संदेहों को और मजबूती प्रदान करता है।
सौरभ, रवि से सीधे संपर्क
ईडी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक एजेंसी अब यह जांच कर रही है कि धोखाधड़ी से प्राप्त धन को कागजी कंपनियों के जरिए सफाया किया गया था या नहीं। एरोजेट एंटरप्राइजेज से जुड़े खातों में फंड ट्रांसफर हुआ था, जो बाद में कोलकाता स्थित “मजेस्टिक कामर्शियल” नामक कंपनी को भेजा गया, जो महादेव बेटिंग एप से जुड़ी हुई है। महादेव बेटिंग एप के संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल पहले से ही ईडी की जांच के दायरे में हैं, जिससे जांच की दिशा साफ होती है।
पुलिस-ईडी के फंदे में फंसने से बढ़ी मुश्किलें
अपराध दर्ज होने की जानकारी लगते ही केके श्रीवास्तव परिवार समेत फरार हो गया। पुलिस ने उन्हें भगोड़ा घोषित करते हुए पता बताने वाले को दस हजार रुपए का ईनाम देने को कहा है। जिला न्यायालय से जमानत आवेदन खारिज होने के बाद केके श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उनके अधिवक्ता ने इसे धोखाधड़ी न मानते हुए आपसी लेनदेन का मामला बता जमानत देने का निवेदन किया था।