PM Internship Yojana: करके सीखने के विचार का लोकतंत्रीकरण

Date:

पीएमआईएस को युवाओं के एक विशिष्ट समूह को शीर्ष 500 कंपनियों में 12 महीने की इंटर्नशिप का अवसर प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। कम आय वाले परिवारों के 21-24 वर्ष की आयु और मैट्रिक से लेकर स्नातक तक (आईआईटी स्नातक, सीए, आदि को छोड़कर) की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले युवा इस योजना के पात्र हैं। यह योजना 5000 रुपये का मासिक स्टाइपेंड प्रदान करती है, जिसे सरकार (4500 रुपये) और कंपनी (500 रुपये) द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाता है। साथ ही, आकस्मिक व्यय के लिए अतिरिक्त 6000 रूपये भी दिए जाते हैं। इस योजना के प्रायोगिक चरण का लक्ष्य 2024 में 1.25 लाख युवाओं को लाभान्वित करना है, जबकि पांच वर्ष में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य है। इस योजना के तहत खर्च के लिए कंपनियां अपने सीएसआर फंड का भी उपयोग कर सकती हैं।

लंबे समय से इंटर्नशिप को युवा उम्मीदवारों और नियोक्ताओं के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद एक व्यवस्था के रूप में जाना जाता रहा है। शिक्षा से जुड़े शोधकर्ताओं और शिक्षण से संबंधित वैज्ञानिकों ने कार्य-आधारित शिक्षा के महत्व को पहचाना है। डेविड कोल्ब्स, जॉन डेवी, कर्ट लुईस एवं कई अन्य विद्वानों द्वारा प्रवर्तित अनुभवात्मक शिक्षण से संबंधित दृष्टिकोण, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के अनुसार श्रमशक्ति के विकास के महत्वपूर्ण साधन साबित हुए हैं। इंटर्नशिप वास्तव में संवाद, सहयोग, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को बेहतर बनाती है।

युवा उम्मीदवारों के लिए, पीएमआईएस के तहत प्रदान किए जाने वाले इंटर्नशिप न केवल अवसर हैं बल्कि परिवर्तनकारी अनुभव भी हैं। वे कॉरपोरेट जगत की वास्तविक दुनिया से परिचित कराती हैं, जो देश भर के अधिकांश कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली शिक्षा की अपेक्षाकृत अधिक व्यवस्थित एवं स्थिर दुनिया से काफी भिन्न है। अपने करियर की सर्वोत्तम राह को विकसित करने और पहचानने के अलावा, उम्मीदवार जिम्मेदारी संभालने, समस्या के समाधान, निर्णय लेने, टीम वर्क और समय के प्रबंधन के बारे में व्यावहारिक प्रशिक्षण भी हासिल कर सकते हैं। इंटर्नशिप प्रवेश से संबंधित उन बाधाओं को भी तोड़ देती है, जिससे छोटे शहरों व गांवों के प्रतिभाशाली, ईमानदार और समर्पित युवाओं को भी जूझना पड़ता है। इन बाधाओं में धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलना, ई-मेल से जुड़ा शिष्टाचार, कंप्यूटर व एमएस ऑफिस का उपयोग करना या विश्वसनीय एवं सर्वाधिक प्रासंगिक जानकारी के लिए इंटरनेट पर खोज करने जैसी बुनियादी चीजें शामिल हैं। देश के प्रमुख संस्थानों एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में जहां इंटर्नशिप प्रचलन में है, वहीं कैरियर संबंधी परामर्श एवं नौकरी-उन्मुख नेटवर्किंग की कमी के कारण राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों और कम प्रसिद्ध कॉलेजों में, यह एक असामान्य चीज बनी हुई है। इन्हीं राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों और कम प्रसिद्ध कॉलेजों में अधिकांश युवा पढ़ते हैं। इस तरह, पीएमआईएस के जरिए बड़े पैमाने पर प्रदान किए जाने वाले इंटर्नशिप गैर-मेट्रो शहरों के युवाओं के लिए समान अवसर प्रदान करती है और संभावित प्लेसमेंट के लिए दरवाजे खोलने का काम करती है। व्यक्तिगत स्तर पर, नई मिली आर्थिक आजादी आत्मविश्वास बढ़ाती है और युवा प्रतिभाओं को बेहतर करने और ऊंचे लक्ष्य रखने के लिए प्रेरित करती है। युवतियों के मामले में, आर्थिक आजादी और आत्म-मूल्य की भावना शादी की उम्र और विवाह के पूर्व की शर्तें जैसी जीवन के फैसलों में बदलाव ला सकती है।

नियोक्ता के लिए, इंटर्नशिप न केवल दीर्घकालिक रोजगार के लिए उम्मीदवार की उपयुक्तता का परीक्षण करने का कम लागत वाला बेहतरीन प्रयोग है, बल्कि कौशल संबंधी अंतर को पाटने और उसके सीएसआर संबंधी उद्देश्यों को पूरा करने का एक रणनीतिक उपकरण भी है। 12 महीनों के दौरान, कंपनी विश्वसनीय रूप से एक प्रशिक्षु के आईक्यू और ईक्यू का आकलन कर सकती है और आत्मविश्वास के साथ “प्रवृति के लिए नियुक्ति और कौशल के लिए प्रशिक्षण” की बहुप्रशंसित रणनीति को लागू कर सकती है।

व्यापक स्तर पर अर्थव्यवस्था की दृष्टि से, पीएमआईएस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है और यह युवाओं के रोजगार को बढ़ावा देने एवं वंचित पृष्ठभूमि के युवाओं के लिए रोजगार की संभावनाओं में समानता लाने का एक तात्कालिक उपाय है। शिक्षा पूरी कर चुके युवाओं के लिए एक फिनिशिंग स्कूल के रूप में कार्य करके, इंटर्नशिप अर्थव्यवस्था में ‘रोजगार रहित प्रतिभा’ के भारी नुकसान को कम करने में मदद करती है। आने वाले एआई के युग में, शिक्षा से लेकर रोजगार तक की ऐसी कड़ी और भी महत्वपूर्ण साबित होगी, जहां नौकरी के लिए उपयुक्तता परिवर्तन एवं जीवन कौशल के प्रति अनुकूलनशीलता द्वारा निर्धारित की जाएगी। दीर्घकालिक अवधि में, यह मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में पूंजी और श्रम के बीच के अनुपात को भी प्रभावित कर सकती है।

जैसा कि कहा गया है, कंपनियों में बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं को वास्तविक रूप से समायोजित करने, शीर्ष 500 कंपनियों को श्रेणी-2 और श्रेणी-3 वाले शहरों से आने वाले प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने और किसी अभ्यर्थी को उसके शहर से बाहर स्थानांतरित करने की आवश्यकता होने पर पर्याप्त मात्रा में मासिक स्टाइपेंड की उपलब्धता जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। इस संबंध में दूरस्थ कार्य की व्यवस्था, गैर-मेट्रो कार्यालयों एवं कारखानों में भर्ती, और कंपनी द्वारा अतिरिक्त स्टाइपेंड संभावित समाधान हो सकते हैं।

इस प्रकार, पीएमआईएस रोजगार सृजन का एक ऐसा उत्प्रेरक है जिसके व्यापक प्रचार और सावधानीपूर्वक कार्यान्वयन की आवश्यकता है। इसका लक्ष्य लगातार भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश के साथ बेहतर तालमेल बिठाना है। इस योजना के शुभारंभ के बाद से कॉरपोरेट जगत द्वारा दिखाई गई अत्यधिक रुचि भारतीय युवाओं को कुशल बनाने, उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के इस योजना के लक्ष्य की सफलता की दृष्टि से एक अच्छा संकेत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img

Share post:

More like this
Related

शिक्षा का मंदिर बना शराबखोरी का अड्डा!

रायपुर जिला के खरोरा तहसील अंतर्गत केशला ग्राम पंचायत...

नगर पंचायत खरोरा: प्लेसमेंट कर्मचारियों ने किया हड़ताल…जानिए पूरा मामला!

नगरी निकाय प्लेसमेंट कर्मचारियों ने आज से प्रदेशव्यापी मोर्चा...

प्रेमिका की हत्या कर, शादीशुदा प्रेमी ने लगा ली फांसी…जानिए पूरा मामला!

कांकेर: जिले के चारामा थाना क्षेत्र में प्रेमिका की...