रिश्वत… आम जीवन में यह शब्द घुल मिल सा गया है, हर सरकारी काम में इस शब्द का और इस शब्द के जादू का प्रभाव देखा जा सकता है आम इंसान बिना रिश्वत दिए अपना कोई भी काम कर ले आज के समय में यह संभव नहीं है लेकिन एक दिव्यांग ने यह ठाना कि वे रिश्वत नहीं देंगे और परिणाम स्वरूप आरोपी एसडीएम को एसीबी की टीम ने पकड़ लिया।
मामला बेमेतरा जिला का है एसडीएम ने एक दिव्यांग से जमीन के डायवर्सन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के एवज में एक लाख रुपए की डिमांड करता है, दिव्यांग ठान लेता है कि वह रिश्वत तो नहीं देगा लेकिन घूसखोर एसडीएम को जरूर सबक सिखाएगा।
पीड़ित एसीबी के रायपुर ब्रांच में संपर्क करता है अपनी लिखित शिकायत दर्ज कराता है और फिर शुरू होती है ACB की कार्रवाई, अधिकारी उन्हें पूरी योजना बताते हैं और योजना बद्ध तरीके से एसडीएम को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़ लिया जाता है।
एक दिव्यांग ने अपनी बुद्धिजीविता का परिचय दिया और वह कर दिखाया जो उन्होंने ठाना था, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ का आम इंसान, किसान, मजदूर इस प्रपंच में फंसकर अंततः रिश्वत दे ही देता है लेकिन कभी यह हिम्मत नहीं करता की रिश्वत जो एक अपराध है उसके खिलाफ भी जाया जाए।
तो यह सबक है और शिक्षा भी जिससे आम लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक होंगे, खबर लिखे जाने तक आरोपी एसडीएम और उसके सहयोगी को ACB ने गिरफ्तार कर लिया है।
इधर इलाके के लोगों में इस बात की खुशी है कि उन्हें घूसखोर एसडीएम से मुक्ति मिली, बीती रात लोगों ने पटाखे फोड़ मिठाइयां माटी और एक दूसरे को बधाई भी दे रहे थे,
तो सोचिए शासन के आस्तीन में ऐसे घूसखोर लोग आम जनता से लूट मचा कर रखे हैं जिनके कारण लोग दुखी है परेशान है उनकी खुशी एसडीएम के गिरफ्तारी के बाद छलक रही है।
दिव्यांग युवक तुकाराम पटेल, ग्राम भठगांव, तहसील देवकर, जिला-बेमेतरा का रहने वाला है।
एसडीएम टेकराम माहेश्वरी ने इसके लिए 1 लाख रुपये घूस की डिमांड थी।