बरौंडा की बेटी रेणुका…गांव में सरपंच पद की प्रत्याशी! जानिए 25 वर्षीय जुनूनी पत्रकार की कहानी

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रेणुका…एक निडर पत्रकार, एक साहसी बेटी, भाव और भावनाओं से भरी एक गांव की तेजतर्रार युवती!
छत्तीसगढ़ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का मौसम चल रहा है और इस मौसम ने राजनीति की परिभाषा बदलने की ठानी है।

रायपुर जिले के खरोरा तहसील स्थित ग्राम पंचायत बरौंडा में एक 25 वर्षीय जुनूनी पत्रकार ने अपने गांव की दशा बदलने अपने सुनहरे भविष्य की बाजी लगाई है, जी हां रेणुका यही नाम है उस लड़की का।

छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता महाविद्यालय कुशाभाऊ ठाकरे से पत्रकारिता की डिग्री लेकर समाज के अंतिम पंक्ति की आवाज बनने का माद्दा लिए रेणुका ने सबसे पहले प्रदेश की सबसे बड़ी सैटेलाइट टीवी IBC24 में काम किया फिर दूरदर्शन और आकाशवाणी रायपुर में अपनी पत्रकारिता का लोहा मनवाया, TV27 एशियन न्यूज नेटवर्क में अपनी सेवाएं दी और सेना में जाने का लगातार प्रयास करती रही, इस बीच रेणुका को मुख्यमंत्री के विभाग छत्तीसगढ़ संवाद में काम करते हुए नक्सल प्रभावित बस्तर के बीजापुर जिले में जिला जन संपर्क में सेवाएं देकर आदिवासियों के जीवन, सुविधा, असुविधा सहित सरकार की योजनाओं का विस्तार और जानकारी सहित जनकल्याण का अवसर मिला।

उनकी प्रतिभा को भांप कर विभाग ने उन्हें मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के गृह जिला जशपुर में पोस्टिंग दी और वहां भी रेणुका ने बखूबी अपना हुनर दिखाया और अंतिम पंक्ति तक सरकार की योजनाओं के विस्तार के साथ लोगों को मुखधारा तक खींच लाने में सफल रहीं।
इसी बीच गांव में चुनाव 2025 की घोषणा हुई और रेणुका इसे अपने जन्मभूमि को संवारने का अवसर बनाने संकल्पित हुई।

रेणुका ने विभाग से सेवा मुक्त होकर अपने गांव की सेवा करने का मन बनाया और अब वह सरपंच के लिए नामांकन दाखिल करने वाली है।

सरकार ने बेटियों को राजनीति का हिस्सा बनने आवाह्न किया है और इस पर एक गांव की बेटी अपना कर्तव्य पूरा करने अपने गांव लौट आई।

घर में मां पापा और अन्य परिवारजनों के साथ गांव की महिलाएं और युवावर्ग रेणुका के साथ आ रहे हैं, रेणुका को पूरा भरोसा है वह बरौंडा की सरपंच बनेगी।
वह अभी 25 साल की है लेकिन उसका आत्मविश्वास उसके उम्र से कही ज्यादा बड़ा है।
रेणुका के मन में अपने गांव और गांववालों के लिए बहुत प्रेम है, वह बताती हैं की जब कोई महिला गांव में शराब और नशे के चलते पीड़ित होती हैं उसे बड़ा दुख होता है, रेणुका का नारा है…
“नशा मुक्त गांव, स्वरोजगार युक्त ग्रामीण”


रेणुका कहती हैं की उसने जितनी दुनियादारी देखी है, जितना अनुभव उसने जिया है वह सब कुछ अपने गांव और गांववलों के लिए खर्चना चाहती है।
रेणुका गांव भर, घरो घर, हर परिवार से मिल रही है, अपने सपनों को गांव वालों के आंखों में बसा रही है, उसे भरोसा है अपने आप पर, बारौंडा की बेटी रेणुका सचमुच कुछ बड़ा करेगी!

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