छत्तीसगढ़ राज्य की एकमात्र गैर राजनीतिक संस्था छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना की राजनीतिक विंग जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी लगातार आम छत्तीसगढ़ियों को ही एक दूसरे से लड़वा रही है और युवाओं में आपसी द्वेष पैदा कर रही है? ऐसा आरोप पुराने सेनानी लगा रहे हैं!
ताजा मामला खरोरा के बंगोली ग्राम के रहने वाले छत्तीसगढ़िया युवा क्रांति सेना रायपुर के पूर्व पदाधिकारी प्रियंकर सेन को संगठन से अलग करने वाले तथाकथित फरमान का है।
जानकारी के मुताबिक प्रियंकर सेन बीते दस सालों से लगातार छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना से जुड़ कर काम करते आ रहे हैं, JCP के अमित बघेल ने जब चुनाव लड़ा था तब प्रियंकर सेन ही चुनावी रणनीतिकार माने जाते थे!
CKS को भी खरोरा तिल्दा इलाके में आज जो पहचान मिली है उसमे प्रियंकर सेन की महती भूमिका रही है।
खरोरा के अदानी पावर प्लांट में आंदोलन का श्रेय और इलाके में नौजवानों को एकजुट करने का काम प्रियंकर करते आ रहे थे, नगर खरोरा सहित ग्राम मुड़पार, छतौद और बाना ग्राम पंचायत में छत्तीसगढ़ महतारी मूर्ति स्थापना के लिए भी प्रियंकर ने जी जान लगाकर काम किया और CKS के साथ JCP को मजबूत करते रहे हैं।
प्रियंकर सेन एक तरह से इलाके में और पूरे प्रदेश संगठन में अमित बघेल के राइट हैंड माने जाते रहें हैं, बंगोली के पास मोजो मशरूम का आंदोलन हो या GD पेट्रोल पंप के मालिक के खिलाफ लामबंद, प्रियंकर लगातार सक्रिय रहे और अमित बघेल का हाथ मजबूत करते रहे हैं, लेकिन खबर मिली है की अब प्रियंकर को संगठन से अलग कर दिया गया है और CKS-JCP से जुड़े लोगों में प्रियंकर सेन के खिलाफ चर्चाएं हो रही है।
कारण सिर्फ इतना सा है की प्रियंकर सेन की फोटो नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष नवीन अग्रवाल को बधाई देने वाली अखबार में छपी है! जिसमें सिर्फ पारिवारिक मित्रों की तश्वीरें ज्यादा है!
खबर है कि इस बात पर CKS और JCP के कार्यकर्ताओं ने प्रियंकर के खिलाफ व्हाट्स ऐप और सोशल मीडिया में युद्ध छेड़ दिया है, प्रियंकर सेन के विरोधी खेमे से उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही थी और आखिरकार संगठन से अलग करने की खबरें भी आ रही है।
पुराने सेनानियों का मानना है की कहीं ऐसा चलता रहा तो पुराने निष्ठावान सेनानियों के सम्मान को ठेस पहुंचेगी और अब तक कुछ खास नहीं कर पाई JCP बनने से पहले ही बिखर जायेगा?
नवीन अग्रवाल को जीत की बधाई देना, संगठन विरोधी गतिविधि ?
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना एक गैर राजनीतिक संगठन है ऐसे में सेनानी किसी भी पार्टी के जीते हुए प्रत्याशी को अपने निजी संबंधों के सम्मान के तहत बधाई दें, मिलें फोटू छपवाएं तो क्या इससे संगठन के नियमों का उल्लंघन है? अगर है तो अब छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना भी एक राजनीतिक दल ही माना जाए?
बहुत से ऐसे सेनानी हैं जो अलग अलग राजनीतिक दल से जुड़े हैं या समर्थक हैं, चुनावों में अपने समर्थित प्रत्याशी के लिए काम भी करते हैं!
JCP प्रमुख अमित बघेल का नवनिर्वाचित रायपुर महापौर मीनल चौबे को बधाई देते तस्वीर वायरल हुआ था तब किसी तरह की बातें क्यों नही हुई? ऐसा सवाल अब आम सेनानी करने लगे हैं।

दरअसल रायपुर जिला में सबसे सक्रिय खरोरा खंड की पुरानी टीम को खत्म करने की साजिश के तहत यह आखरी कील मानी जा रही है।
प्रदेशभर में CKS के अघोषित प्रवक्ता और छत्तीसगढ़ी भाषा के संपादक फिल्मकार, पत्रकार गजेंद्ररथ के इस्तीफे के बाद से उनके साथी कार्यकर्ताओं के खिलाफ संगठन के नए नवेले पदाधिकारी एकजुट हो गए, प्रियंकर सेन से पहले CKS खरोरा के महामंत्री डॉक्टर रामशरण साहू भी बिना कारण बताए संगठन से अलग किए जा चुके हैं और अब प्रियंकर सेन के साथ यह बर्ताव सोंची समझी साजिश का हिस्सा है?
इससे पहले भी प्रियंकर सेन को गैरप्रांती बंगाली बताकर प्रताड़ित किया गया था जिसके बाद से निष्ठावान कार्यकर्ता मानसिक पीड़ा से जूझ रहे थे और अब उसके साथ यह खेल समझ से परे है!
प्रियंकर सेन ने खुद बताया है की उसने लगभग सालों पहले जब गजेंद्ररथ संगठन से अलग हुए थे तभी संगठन की जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके हैं, ऐसे में उन्हें अपने ही साथियों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करना समझ से परे है?
और अगर बात सिर्फ जिला पंचायत अध्यक्ष नवीन अग्रवाल को बधाई देने का है तो जग जाहिर है जब धरसींवा विधानसभा से अनिता योगेंद्र शर्मा प्रत्याशी रहीं तब पूरा CKS उनके चुनाव प्रचार में लगा रहा और जीते भी।
तब इसे बीजेपी के देवजी पटेल जिसे CKS ने परदेशिया करार दिया था को हर हाल में हराने की रणनीति बताई गई थी और बाद में फिर विधायक अनिता शर्मा को भी परदेशिया सूची में डाल दिया गया!
राजनीतिक विंग बनने के बाद CKS में टूट जारी है!
यकीनन CKS आम छत्तीसगढ़िया समाज की जरूरत है लेकिन तथाकथित पदाधिकारियों ने इसे कमाई का जरिया बना रखा है? ऐसा आरोप लगातार सुनने मिल रहा है!
वहीं राजनीतिक दल बनने के बाद बहुत से नए बहरूपिए नेता, दलबदलू सरीखे तथाकथित जनप्रतिनिधि और संगठन का छांव चाहने वाले चिटफंडी व्यापारी भी लगातार जुड़ रहें हैं और पुराने लोगों के खिलाफ साजिश भी कर रहे हैं।
पुराने कार्यकर्ताओं में इस बात के लिए भी रोष है की नए चेहरों को पार्टी प्रमुख द्वारा ज्यादा भाव ताव देकर पुराने लोगों की किरकिरी की जा रही है?
इसी के चलते लगभग जिलों में पुराने कार्यकर्ताओं और सेनानियों का मोहभंग होता जा रहा है और वे संगठन से या तो अलग हो रहे हैं या सक्रियता कम कर दिए हैं?
प्रियंकर सेन की मानें तो संगठन से वे बहुत पहले इस्तीफा दे चुके हैं!
प्रियंकर सेन उच्च शिक्षित युवा और ISO सर्टिफिकेट कंसलटेंट कंपनी के मालिक हैं ऐसे में उनका CKS को पोषित करना CKS के लिए ही फायदेमंद था पर उसे अलग थलग करने की बातें सामने आ रही है!
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना आम छत्तीसगढ़िया जनमानस की आवाज है।
राजनीति से परे भाषा, संस्कृति और स्वाभिमान की बात करने वाली प्रदेश की सबसे बड़ी गैर राजनीतिक संगठन CKS दशकों से प्रदेशवाद की लड़ाई लड़ रही है।
हसदेव जंगल की कटाई के खिलाफ आंदोलन हो या प्रदेशभर के उद्योगों में आम छत्तीसगढ़िया मजदूरों के अधिकारों के लिए लामबंद होना हो, CKS लगातार लड़ाई लड़ रही है पर राजनीतिक संगठन JCP की अलग कमांड और कार्यशैली तय न करना एक बड़ा मुद्दा है।
CKS और JCP हर मोर्चे पर एकसाथ खड़ी रहती है ऐसे में यह तय कर पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है की वे राजनीति कर रहें हैं या समाज सेवा, क्योंकि जब तक CKS था तब तक बीजेपी, कांग्रेस के छत्तीसगढ़िया भी CKS के लिए काम कर रहे थे लेकिन राजनीतिक विंग जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के साथ विचारधारा की भिन्नता हो शायद! और लगातार पुराने निष्ठावान सेनानियों की सक्रियता कम हो रही है?
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की लता राठौर, राजभाषा मंच के नंदकिशोर शुक्ल, भाषाविद, पत्रकार गजेंद्ररथ वर्मा लगभग पूरी तरह से अलग थलग हो चुके हैं तो वहीं कोरबा के दिलीप मिरी, पूर्व रायपुर जिला अध्यक्ष फायरब्रांड धीरेंद्र साहू ने ठाकुर राम गुलाम सिंह के संयोजन में अपनी अलग टीम बना ली है ऐसे में अब दो CKS दलों को लेकर आम युवा असमंजस में हैं, यह छत्तीसगढ़ और आम छत्तीसगढ़ियों में जगी आस को ठेस पहुंचाने वाली घटना है।
