कोन कथे स्वाभिमान मरे हे, अब छत्तीसगढ़िया नवा जनम धरे हे!!
मोर छत्तीसगढ़ के माटी जेखर अंचरा अन्न के भंडार, जेखर कोरा धान के कटोरा!!
जेखर गर्भ म हीरा,मोती,सोन,चांदी जइसे अनन्य खनिज के अंबार!!
अइसे म मोर अंतस सोरियाथे अउ कथे…
धार धरे तोर छाती ले गोरस, महानदी बन जाथे!
जुग जुग ले तोर मान सिहावा रस अमृत बरसाथे!!
मोर छत्तीसगढ़ के भुइँया महतारी वो पईय्या लागंव तोर बारम्बार…
जेखर वैभव अनन्त अगास ले रसातल के थाह तक बगरे हे!
मां भारती के सुकुमारी बेटी, जेखर अंतस म कौशिल्या के मया, जेखर अन्न जल म भांचा राम जइसे मर्यादा,दया,मया परोपकार के भाव भरे हे! छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के संज्ञा गान करत वीर धीर गंभीर रतन सपूत मन के अनगिनत कहानी!!
अउ अइसे म जब महतारी के मान भंग करे के कुत्सित प्रयास होही त सहसा अंतस कथे….
आना होही तोला वीर!!
मोर अंतस के आरो कहिथे, आना होही तोला वीर, तोर भुइँया के मनखे रोवत हे, आव दुश्मन के छाती चीर…
तार तार होए हे आम छत्तीसगढ़िया के छाती, महतारी के अपमान ले, अस्मिता के दुहाई देवत आंसू अब आगि बने के रसदा धर लेहे… अइसे म एक गोहार मन मथत हे!!
अब नइ आही वीर नारायण, अब नइ आही वीर नारायण न गुण्डाधुर अब जनम लिही!!
गुरु घासी घलो गुनत होही अब सत के भाखा कोन कही??
महतारी के मान खातिर अब ओखर रतन बेटा बेटी मन ल वीर नारायण, गुड़ाधुर, गुरु घासीदास, देवी राजमोहनी, दाई बिलासा अउ राजिम भक्तिन बने बर आवाहन करत हंव!!
हमर नदिया नरवा डोंगरी पहाड़, चिरई चुरगुन, खेत खलिहान अब गोहार करत हे, बचा लौ अपन माटी के मान ल, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान ल!!
छत्तीसगढ़िया मन के दुर्गति ले इतिहास भरे परे हे, जेमन ल सगा जान अंगना बइठारेन तेन मन अब हमर घर के मालिक बन बइठे हें!
सिधवई के अउ कतेक कीमत चुकाबो हम छत्तीसगढ़िया?
पार फुटही, रार माचही!!
अन्याय के अंत अउ सोसन के खिलाफ गोहार बगरत हे गांव गली खोर!
अउ कतका दिन रोके रखबे नवा सुरुज के भोर!!
आवव, हर हाथ हथियार बना लिन, सिंहनाद हुंकार बजा दिन…
कोन कथे स्वाभिमान मरे हे, अब छत्तीसगढ़िया नवा जनम धरे हे!!
जय छत्तीसगढ़
गजेंद्ररथ ‘गर्व’
