कागजों में 170 फर्जी फर्म बनाने वाले मो. फरहान सोरठिया और GST की चोरी…पढ़िए!

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छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्टेट जीएसटी ने कागजों में 170 फर्जी फर्म बनाने वाले कर सलाहकार मो. फरहान सोरठिया और उसके चाचा मो. अब्दुल लतीफ सोरठिया के घर पर छापेमारी की। इस दौरान तलाशी में करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी के दस्तावेज, 1.64 करोड़ नगद और 400 ग्राम के 4 सोने के बिस्कुट बरामद हुए। इसका हिसाब नहीं देने पर जब्त कर लिया गया है। केवल इन फर्मों से ही राज्य को 100 करोड़ रुपए के जीएसटी का नुकसान होने का प्रारंभिक आकलन किया गया है।

वहीं फरार फरहान को 22 सितंबर तक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नोटिस जारी किया गया है। साथ ही कैश और सोना छिपाने वाले अब्दुल लतीफ की भूमिका को जांच के दायरे में लिया गया है। बताया जाता है कि जीएसटी एनॉलिटिक्स और इंटेलिजेंस नेटवर्क तथा जीएसटी प्राइम पोर्टल का उपयोग करने पर बोगस फर्म और बोगस बिल तैयार करने वाले सिंडिकेट का सुराग मिला।
जांच में पता चला कि वह कर सलाहकार की आड़ में कागजों में फर्जी फर्म बनाता था। इसके इनपुट मिलने पर राज्य जीएसटी की स्पेशल टीम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके साक्क्ष्य मिलने पर लोधीपारा स्थित फरहान सोरठिया के दफ्तर में छापेमारी की गई। इस दौरान पता चला कि दस्तावेजों को अपने अब्दुल लतीफ के घर छिपाने की जानकारी मिलने पर राजातालाब स्थित घर पर दबिश दी गई थी।

आयकर विभागको सूचना
जीएसटी अधिकारियों द्वारा इन फर्मों से करोड़ों रुपए के जीएसटी फ्रॉड की राशि की गणना की जा रही है। इस प्रकरण में कई ब्रोकर, स्क्रैप डीलर और इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ लेने वाली कम्पनियां भी विभाग के जांच के दायरे में है। राज्य कर विभाग द्वारा मामले की गहन जांच की जा रही है। साथ ही इसका ब्यौरा आयकर विभाग को भेजा गया है।

दस्तावेजों का जखीरा बरामद
छापेमारी के दौरान तलाशी में 172 फर्मों के बारे में जानकारियां मिली। फरहान ने अपने 5 ऑफिस स्टाफ को फर्मों का पंजीयन कराने, रिटर्न फाइल करने और ई-वे बिल तैयार करने के लिए रखा था। इसके अलावा बोगस पंजीयन के लिए किरायानामा, सहमति पत्र, एफिडेविट तैयार करने के साक्ष्य मिले हैं।

उसके द्वारा 26 बोगस फर्मों से ही 822 करोड़ का ई-वे बिल जनरेट किया गया, जबकि रिटर्न में 106 करोड़ रुपए का ही टर्नओवर दिखाया गया है। तलाशी में पंजाब, असम, मणिपुर, ओडिशा में भी पंजीयन किया गया है। इसके पंजीयन के लिए बोगस दस्तावेज जैसे किरायानामा एवं सहमति पत्र भी तैयार किए जाते थे। इन फर्मों के माध्यम से बोगस सप्लाई बिल और ई-वे बिल जारी किए जा रहे थे।

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