हमारे तीज त्यौहारों को नीचा दिखाने की कुचेष्टा न करे कोई: CKS

Date:

छत्तीसगढ़ में लगातार अस्मिता पर संकट बना हुआ है, यूं तो यह प्रदेश अपनी परंपराओं के लिए जानी मानी और पहचानी जाती है फिर भी कई लोग मौजूदा दौर में विवादित टिप्पणी करने से बाज नहीं आते।
मामला एक निजी न्यूज पोर्टल में संपादकीय कॉलम पर छपे प्रदेश के तीज त्यौहार पर दी जाने वाली छुट्टी से संबंधित है, महाशय लिखते हैं ब्यूरोक्रेड्स के लिए यह छुट्टियां अर्थहीन है, ठीक बात है पर ये ब्यूरोक्रेड्स क्या हैं जब प्रदेश के मुखिया और पूरा मंत्रिमंडल अपने पारंपरिक मूल्यों को जी रहा हो?

हरेली और तीज त्यौहारों को लेकर लिखे गए आलेख में यह बताने की कुचेष्टा ज्यादा है की इस प्रदेश के धनी लोग अपने पारंपरिक मूल्यों से विमुख हो गए हैं?
जबकि अमेरिका जैसे देश में बसे इस प्रदेश के लोग वहां भी अपनी पहचान बचाए रखे हैं, गर्व कर रहे हैं की वे छत्तीसगढ़ से हैं। करमा, सुवा, ददरिया जैसे गीतों से महफिल सजा रहे हैं और चंद कुटिल लोग इसी प्रदेश का खा के यहीं की परंपराओं को निम्न और अर्थहीन बताने में अपना गौरव तलाश रहे हैं, यह बिल्कुल भी बर्दास्त नही किया जाना चाहिए और नही किया गया।

छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ ने आपत्ति दर्ज कराई, प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई के लिए लिखा।

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने दर्ज की आपत्ति

प्रदेश की सबसे बड़ी गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और आक्रामक स्वर में आगाह किया।
जिस प्रदेश को आप शांति का टापू कहते नही थकते उसे अशांत करने की कोशिश न किया जाए, अगर इस तरह प्रदेश की अस्मिता पर सवाल उठाया जाएगा तो बड़ी शुद्धिकरण के लिए सेना तैयार है!

अब कोई भी संस्था, पत्रकार अथवा विचारक या कोई समाचार पत्र समूह, टीवी चैनल इस बात पर जरूर ध्यान दें की कहीं वे अभियक्ति के चक्कर में प्रदेश की परंपराओं, भाषा और सांस्कृतिक अस्मिता पर तो कोई चोंट नही कर रहें?

कुलमिलाकर एक बड़ा संदेश है उन तमाम आयातित विचारों, लोगों और बुद्धिजीवियों को जिन्हे इस प्रदेश में यहीं की परंपराओं से चिढ़ है?

जो प्रदेश अपने भीतर समाए पड़ोसी राज्यों के तीज पर्व को सम्मान देना जानती है वो अपने प्रतिमानों के प्रति भी सजग है और यहां की जनता जिसे, सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया की संज्ञा मिली हुई है अब वे टेढ़े भी होने लगे हैं और होना चाहिए भी क्योंकि जब आपकी अस्मिता और पहचान पर बात आए और सवाल वे लोग उठाएं जो खुद आयातित हैं तब चुप रहना सबसे बढ़िया होने की निशानी नही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

More like this
Related

भिलाई स्टील प्लांट: हादसों के बाद अधिकारियों पर गाज!

भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) में लगातार बढ़ रही दुर्घटनाओं...

नवा रायपुर: अखिल भारतीय DGP-IG कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन की बैठक शुरू…

नवा रायपुर में चल रहा 60वां अखिल भारतीय DGP-IG...

छात्र को पेड़ से लटकाने का मामला, स्कूल की मान्यता रद्द, संचालक पर FIR!

सूरजपुर जिले के निजी स्कूल में KG-2 के छात्र...

छत्तीसगढ़ी के लिए जल्द ही सत्याग्रह: नंदकिशोर शुक्ला

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिसव पर रैली और संगोष्ठी सामाजिक उदासीनता और...