नगर पंचायत खरोरा अपने शुरुआती दिनों से ही पानी की किल्लातों से दो चार होता रहा है।
दरअसल खरोरा क्षेत्र ड्राई है यहां पर नलकूप खनन प्रयास सफल नहीं रहे और इस पर एक और करारा झटका यह रहा की अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी ने खरोरा में ही अपनी माईनिंग शुरू करी है, जिसके चलते भूजल स्त्रोत 150 फीट नीचे चला गया है।
नगर खरोरा चारों ओर से एक टापू नुमा जगह पर स्थापित है जहां नलकूप खनन 400 से 500 फीट नीचे ही सफल हो पाता है, आसपास गांवों में नहर का पानी तो आता है लेकिन इससे खरोरा हमेशा वंचित रह जाता है, क्योंकि खरोरा ऊंचे स्थान पर बसा है ऐसे में नहर का पानी वहां तक पहुंच पाना मुश्किल ही रहा है और इसीलिए खरोरा की खेती भी भगवान भरोसे होती है।
नगर पंचायत खरोरा में बीते कुछ सप्ताह से पानी की किल्लत ने हाहाकार मचाया है नगर वासियों की माने तो उन्हें 1 से 2 दिन के अंतराल में पानी मिल रहा है जिसके चलते समस्या बढ़ गई है।
वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत प्रबंधन लगातार जल उपलब्धता के लिए मशक्कत कर रही है दरअसल भूजल स्रोत के लगातार नीचे गिरते मापदंडों के कारण नलकूप में पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं आ रहे हैं जिसके चलते आए दिन मशीन खराब हो रही है और आम जनता को पेयजल उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है।
बीते 16 सालों से जल आवर्धन योजना का काम अटका पड़ा है!
नगर पंचायत खरोरा में महानदी के समोदा बैराज से पाइपलाइन बिछ चुकी है, फिल्टर प्लांट का काम भी लगभग पूरा हो चुका है जो बीते 16 सालों से कछुए की चाल से आगे बढ़ रहा था लेकिन अब तक समोदा बैराज से पानी नगर पंचायत खरोरा को पेयजल समस्या से मुक्त नहीं कर पाई!
क्योंकि अब तक पानी आया ही नहीं, कब आएगी? इसका कोई माकुल जवाब जिम्मेदार नहीं दे पा रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत खरोरा में जनसंख्या का घनत्व लगातार बढ़ रहा है शिक्षा और शहरीकरण के आकर्षण में आसपास के हजारों गांव से लोग नगर खरोरा में निवास बना रहे हैं जिसके चलते भी पेयजल आपूर्ति की समस्या विकराल रूप ले रही है, आने वाले समय में भी यह एक बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ी होगी, ऐसे में महानदी के समोदा बैराज का पानी ही नगर पंचायत खरोरा की प्यास बुझ सकती है लेकिन कब इसका जवाब आना अभी बाकी है।

ग्राम पंचायत खरोरा रहते जनता ने पानी के लिए भारी मशक्कत की है, बुजुर्ग बताते हैं कि पहले तालाबों में झिरिया बनाकर पानी की व्यवस्था की जाती थी, दूर-दूर तक पेयजल स्रोत नहीं होने के कारण पीने की पानी को लेकर बड़ी समस्या खड़ी रही लेकिन नगर व्यवस्था ने आसपास के निचली जगहों से नलकूप खनन कर जैसे तैसे पेयजल समस्या से मुक्त करने की तैयारी की लेकिन फिर बढ़ती जनसंख्या ने उसे भी फेल करना शुरू कर दिया है।
महानदी के समुदाय बैराज का पानी अदानी पावर प्लांट पर हर दिन आ रहे हैं, एक एमओयू के अनुसार अदानी ने अपने पाइपलाइन पर पड़ने वाले गांवो में समस्या के समय जलापूर्ति की बात कही थी लेकिन अब अदानी पावर प्लांट प्रबंधन इस करार से मुंह मोड़ रही है वरना जब औद्योगिक घराने अपने फायदे के लिए महानदी बैराज से पानी ला सकती है तो आम जनता के लिए क्यों नहीं?
लेकिन हमारी सरकारें और जनप्रतिनिधियों ने शायद इसके लिए कोई ठोस पहल की ही नहीं!
अब देखना होगा की नगर पंचायत खरोरा की जनता का त्राहिमाम क्या रंग लाती है।

अल्ट्राटेक माइंस खींच रही पानी, भूजल स्तर लगातार जा रहा नीचे!
विगत सालों से सीमेंट प्लांट अल्ट्राटेक ने खरोरा के चुना पत्थर के लिए जमीनें खरीदी और अब लगातार माइनिंग जारी है जिसके चलते भी भूजल स्तर लगातार गिर रहा है वर्तमान में सैकड़ों नलकूप बंद हो चुके हैं क्योंकि लगातार खनन के चलते पानी खदानों की गहराई में उतर रहे हैं और इधर जलस्रोत खत्म हो रहें हैं।
तब जब माइनिंग के लिए प्रस्ताव आया था नगर जनप्रतिनिधियों ने इसे रोजगार का मामला बताया था और किसानों ने भी मोटी रकम के लालच में खेती जमीन बेच दी पर अब जब पानी के लिए लगातार मशक्कत करनी पड़ रही है तब नानी याद आ रही है!
