छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना हुई दो फाड़! क्यों…कैसे? जानिए पूरी घटना!

Date:

राजनीतिक लालसा के चलते टूट गई गैर राजनीतिक क्रांति सेना?

तकरीबन एक दशक से छत्तीसगढ़ की राजनीति में स्थानीयता और क्षेत्रवाद का नारा बुलंद करने वाली गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना टूट गई है या फिर संगठन के भीतर के हलचल से परेशान है?

अभी हाल में CKS की दोनों टीमों ने अलग अलग जगह होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसके बाद आम सेनानियों को यह बात खुलकर पता चल गया की CKS अब दो फाड़ हो ही गई है!

पहले वाले CKS में JCP निर्माण के बाद अजय यादव प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका में हैं जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बहुत खास और करीबी हैं! प्रदेश संयोजक गिरधर साहू एक बार फिर से अपने गृह ग्राम मोहदी के सरपंच चुनाव जीत कर सरपंच बन गए हैं, बताया जाता है की इन्ही के कोप के चलते CKS दो फाड़ हुई?

तो वहीं दूसरे फाड़ में अधिवक्ता दिलीप मिरी प्रदेश अध्यक्ष हैं जो मूलतः कोरबा से हैं, राजधानी रायपुर के फायर ब्रांड धीरेंद्र साहू प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए हैं तो वहीं ठाकुर राम गुलाम सिंह पूर्व के भांति प्रदेश संरक्षक का जिम्मा संभाल रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी गैर राजनीतिक संगठन जब से अपने राजनीतिक विंग जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तब से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना लगभग प्रसुप्त है?

क्या कारण है की छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना अपने पुराने वैभव और तेवर में नहीं आ पा रही है?

दरअसल 2023 के चुनावी चक्रम के बाद सेना के पुराने दमदार सेनानियों को संगठन से अलग-थलग कर दिया गया है, जिसके चलते संगठन में कई फाड़ हो चुके हैं!

सीधा उदाहरण कोरबा जिला की गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना है जिसके प्रदेश अध्यक्ष दिलीप मिरी बलौदाबाजार अग्निकांड मामले में सलाखों के पीछे रहे और अभी अभी जेल से लौटे हैं।

कहा जाता है जब यह मामला हुआ था तब जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्षों ने बाकायदा अपने लेटर पैड में लिखित, मौखिक आवाहन किया था और अपने कार्यकर्ता व सेनानियों को बलौदाबाजार में एकत्रित होने का संदेश भेजा था, ऐसे में तत्कालीन प्रदेश महामंत्री दिलीप मिरी को ही जेल में डालना शंका पैदा करती है, क्योंकि तब प्रदेश भर से बलौदाबाजार पहुंचने का आवाहन पार्टी प्रमुखों ने किया था ऐसे में उन्हें छोड़कर तत्कालीन प्रदेश महामंत्री को जेल में क्यों डाला गया?

क्या उन्हें सतनामी होने की सजा मिली है या फिर पर्दे के पीछे कुछ और ही षड्यंत्र है?

जिस तरह से प्रदेश भर के जिलों में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के बीच दो फाड़ हो चुके हैं ऐसे में गैर राजनीतिक संगठन की शक्ति लगातार कम होते जा रही है!

तो क्या संगठन को किसी मजबूत वैचारिक नेतृत्व की जरूरत है, क्या एक दशक से चले आ रहे नेतृत्वकर्ताओं की इच्छा शक्ति सुस्त हो चुकी है या फिर संगठन के भीतर वर्चस्व की लड़ाई ने संगठन को कई दलों में बांट डाला है?

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना जब दो फाड़ हुई इससे पहले रायपुर के अमलेश्वर में पदाधिकारियों की गुप्त बैठक आहूत की गई थी जिसमें आपसी मनमुटाव खत्म करने थे लेकिन विवाद इतना बढ़ गया की बैठक में हाथापाई की स्थिति आन पड़ी जिसके चलते दरार और बढ़ गया और इसी के बाद कोरबा जिला में अधिवक्ता दिलीप मिरी ने गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना स्थापित कर लिया, इसी बैठक में कई तरह के मनमुटाव और विवाद के चलते कई पदाधिकारियों ने भी मौखिक त्यागपत्र दे दिए, जिनमें जेसीपी के केंद्रीय कार्यकारिणी और CKS पूर्व रायपुर जिला ग्रामीण अध्यक्ष गजेंद्र रथ वर्मा, प्रदेश की राजधानी से जेसीपी और CKS जिला अध्यक्ष रहे रायपुर ग्रामीण विधानसभा उम्मीदवार धीरेंद्र साहू शामिल हैं।

आखिर क्या बात थी जो इन्हें मौखिक त्यागपत्र देने पर मजबूर होना पड़ा?

उक्त बैठक में जेसीपी के केंद्रीय कार्यकारिणी गजेंद्ररथ ने संगठन में प्रजातंत्र ना होने की बात उठाई थी संगठन के बड़े-बड़े निर्णय कोर कमेटी के नाम पर कुछ एक लोग ही ले रहे थे जिससे संगठन का वातावरण बिगड़ रहा था!

उनका आरोप था कि उनके रायपुर जिला ग्रामीण के अध्यक्ष रहते उनसे बिना सलाह मशवरा किए 6 महीने से जुड़े एक नए सेनानी को रायपुर जिला ग्रामीण की कमान सौंप दी गई जिस पर गजेंद्ररथ ने सवाल उठाए और दशकों से अपने साथ काम कर रहे अन्य निष्ठावान सेनानियों की भावना आहत करने का आरोप लगाया जिस पर कोई जवाब संगठन के मुखिया नहीं दे पाए।

जिस तरह से संगठन में कुछ ही लोगों की मनमानी के आरोप लगातार आम सेनानी लगा रहे थे उससे भी संगठन की स्थिति गंभीर होती जा रही थी।

वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल के लालच में जुड़े कुछ पूर्व कांग्रेसी, भाजपाई और AAP पार्टी समर्थकों को संगठन के पुराने सेनानी चुभ रहे थे, दूसरी ओर चिटफंडिए, जमीन दलाल और व्यापारी किस्म के लोग जो अपने धंधे में संरक्षण पाने की लालसा में CKS से जुड़े थे उन्होंने ने भी अमित बघेल से करीबी बढ़ा कर पुराने कार्यकर्ताओं के खिलाफ साज़िश की और इसी तरह वर्चस्व की लड़ाई के चलते CKS में दो फाड़ हो गए!

JCP में फंडिंग की राजनीति ने बिगाड़ा CKS का स्वाद?

राजनीतिक दल बनने के बाद चुनावी खर्चों के लिए बड़े फंड की जरूरत होती है, CKS सेनानियों के खर्चे से काम कर रही थी तब तक सब ठीक था पर नेतागिरी अलग रास्ता था ऐसे में फंडिंग को लेकर संगठन में मंथन जारी था।

चुनावी खर्चों की बात करें तो धरसींवा विधानसभा में अमित बघेल उम्मीदवार थे जिनका चुनावी कार्यालय खरोरा में गजेंद्ररथ संचालित कर रहे थे और उन्हें अपनी जमीन बेच कर लोगों के पैसे चुकाने पड़े!

गजेंद्र अभी पेंक्रियाज की बड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं और जब उन्होंने चुनाव में खर्च हुए पैसे वापसी की गुहार लगाई तो उस पर वसूलीबाजी, फर्जी बिलिंग सहित अमित बघेल को अप्रत्यक्ष रूप से गाली गलौज करने का आरोप लगा और खुद अमित बघेल ने उसे बसूलीबाजी की ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला देते हुए पैसा लौटाने से मना कर दिया।

लेनदेन और वसुलीबाजी के अफवाहों के चलते बदनाम हुई CKS?

प्रदेश में लगातार छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना गरीब मजदूर की लड़ाई लड़ती रही है, क्षेत्र के उद्योगों में दुर्घटनाओं के चलते पीड़ित परिवारों को मुआवजे के लिये उद्योगपतियों से लड़ाई आज भी जारी है, ऐसे में एक बड़ा अफवाह यह भी रहा कि सेना उद्योगों से फंडिंग करती है, जिसे पदधिकारियों ने सरासर अफवाह मात्र बताया।

सोशल मीडिया में सुटकेसिया क्रान्ति सेना और न जाने किन किन नामों से आईडी संचालित है जो सेना को लगातार बदनाम करती रही है।

कोरबा में दिलीप मिरी और सोनू राठौर ग्रुप में भी फंडिंग के पैसों को लेकर ही दूरी और मनमुटाव की बातें कही जाती है।

कोरबा काले हीरे का खदान है जहां से सेना को लगातार फंडिंग होने की खबर मीडिया में आती रही है, इस मामले में तत्कालीन CKS प्रदेश अध्यक्ष पर थाने में रंगदारी का मामला भी दर्ज है, ऐसा कहा जाता है!

राजनीति बनाम गैर राजनीति!

जिस तरह एक म्यान दो तलवार वाली कहावत है ठीक वैसे ही राजनीति और गैर राजनीति है!

शुरू से संघीय विचारधारा के रहे अमित बघेल ने राजनीतिक दल को लेकर बहुत पहले से योजना बना रखा था पर इससे पहले वे गैर राजनीतिक संगठन के चोले में लोगों को इकठ्ठा कर रहे थे, उनके करीबी बताते हैं कि चुनाव लड़ने और सत्ता पाने की अति लालसा के चलते ही पूर्व में बीजेपी ने उन्हें पार्टी से बेदखल किया था, पार्टी के ही उनके साथी इस बात पर प्रतिवाद करते हैं की आखिर उन्हें राज्य निर्माण के 15 सालों बाद छत्तीसगढ़िया वाद का कीड़ा क्यों कांटा?

वह भी तब, जब कुछ नौजवान लड़के छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना जैसी कोई संगठन बना कर उनसे मिलने और प्रदेश अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव लेकर आए!

शायद राजनीतिक दल ही उनका अंतिम लक्ष्य था? इसीलिए अपने हर उद्बोधन में वे सत्ता पाने की बात करते हैं।

हाल ही में रायपुर के वृंदावन हॉल में आयोजित राजभाषा स्थापना दिवस समारोह में अमित बघेल ने महिला क्रांति सेना द्वारा किए जा रहे भाषा के लिए लड़ाई को बकवास बता दिया और खुद की पार्टी को सत्ता में बिठाने की बात करने लगे, जिससे भाषा के लिए काम करने वाले धड़े में नाराजगी व्याप्त है, बल्कि उन पर उल्टा आरोप लग रहे हैं की संगठन में उनकी टीम ने भाषा के लिए कोई लड़ाई नही लड़ी, उनके खाते में सिर्फ मुआवजे की लड़ाई ही दिखती है जो उद्योगों और फंड से संबंधित है?

गाली गलौज और हिंसा का लगता रहा है आरोप!

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के नौजवानों की जेल यात्रा की कहानी अक्सर सुनाई जाती है पर यह नही बताया जाता की इसका बड़ा कारण अपशब्द और हिंसा है!

संगठन में मजबूत विचार शक्ति और योजना की कमी साफ दिखती है जिसके चलते बालोद फिर बेमेतरा की घटनाएं हुई इससे पहले अभनपुर कोलर स्थित फैक्टी में तोड़फोड़ और आगजनी का मामला था जिसमें अब तक दर्जनों सेनानी कोर्ट और वकील के चक्कर काट रहे हैं और कई बेकसूर सेनानियों को जेल जाना पड़ा।

छत्तीसगढ़ महतारी मूर्ति स्थापना से कर्ज में डूबे सेनानी?

CKS ने महतारी मूर्ति स्थापना की मुहिम छेड़ी है जिसकी बड़ी सच्चाई सेनानी बताते हैं की इस तरह के आयोजन से उनके बड़े नेताओं के लिए मंच तो बन जाते हैं पर वे कर्ज में डूब जाते हैं, केंद्रीय टीम से सहयोग के नाम पर ढेला नही मिलता और अतिउत्साह में सेनानी अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं, कई जगह टीम टूटने का मुख्य कारण ही आरोप प्रत्यारोप रहा, संगठन के भीतर ही सेनानी एक दूसरे पर वसूली बाजी का आरोप लगाते लड़ते हैं और इस तरह टीम बिखर जाती है जिसके कई उदाहरण हैं।

नगर खरोरा में ही नए बस स्टैंड के समीप स्थापित छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति धूल खा रही है, इस कार्यक्रम के लिए भी तत्कालीन जिला अध्यक्ष ने अपने जेब से अतिरिक्त रुपए खर्च किए थे बाद में संगठन ने पल्ला झाड़ लिया और आखिर आज तक छत्तीसगढ़ महतारी के सम्मान पर बट्टा लगा हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

More like this
Related

आदिवासी समुदाय की नाबालिग छात्राओं से बेड टच और छेड़छाड़ का गंभीर आरोप…

छत्तीसगढ़ के पेंड्रा मरवाही विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक...

चैतन्य की जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका…

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने...

साय कैबिनेट का सपना और कितनी आंखों में…पढ़िए नया शिगूफा!

छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में साय कैबिनेट और बीजेपी...

छत्तीसगढ़ के महासमुंद में कीमती खनिज का भंडार…सशक्त भारत का सपना छत्तीसगढ़ से होगा सच?

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित भालुकोना क्षेत्र में...