एमबीबीएस के नवप्रवेशी छात्रों के साथ रायपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज में रैगिंग हो गई। 50 छात्रों के सिर मुंडवाए गए और उन्हें थप्पड़ भी मारे गए। छात्राओं को सिर पर तेल लगाकर आने कहा गया और उनकी फोटो भी मांगी गई। मामले की शिकायत एनएमसी से हुई और सोशल मीडिया पर कई जिम्मेदारों को इसे टैग किया गया, जिसके बाद कॉलेज प्रबंधन सक्रिय हुआ। एंटी रैगिंग कमेटी ने द्वितीय वर्ष के दो छात्रों को निलंबित कर दिया है। कॉलेजों में एंटी रैगिंग कमेटी बनी हुई है, हुई है, मगर उन्हें इस बात की जानकारी तब हुई, जब मामले ने सोशल मीडिया में तूल पकड़ा।
छात्रों के अपने परिजनों की मदद से सोशल मीडिया पर एनएमसी के अधिकारियों सहित राज्य के जिम्मेदारों के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने बताया, जिक्र किया था कि उनसे हानिरहित मजाक करने के बजाय मानसिक और शारीरिक रूप से थका देने वाला रैगिंग किया जा रहा है। मामला वायरल होने और एनएमसी द्वारा भेजे गए पत्र के बाद मेडिकल कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी सक्रिय हुई। एंटी रैगिंग हेल्पलाइन से मिली शिकायत के आधार पर 4 अक्टूबर को कॉलेज प्रबंधन की बैठक हुई और रैगिंग के मामले में एमबीबीएस के दो छात्र को निलंबित किया है। इस मामले में कॉलेज के प्रवक्ता का कहना है कि मामले को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है, सभी क्लासेस में जाकर इस बात की समझाइश दी जा रही है कि इस तरह की कोई भी घटना होने पर कॉलेज फैकल्टी को जानकारी दी जाए। आने वाले दिनों में रैगिंग रोकने सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस मामले में एंटी रैगिंग कमेटी ने एमबीबीएस द्वितीय वर्ष, यानी 2023 बैच के दो छात्रों को दोषी पाया है। उनके द्वारा अंशु जोशी तथा दीपराज वर्मा को दस-दस दिन के लिए विगत 4 अक्टूबर को हुई बैठक में निलंबित किया गया था। उनके निलंबन की अवधि के दौरान पांच दिन अवकाश के हैं, जिसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
अपनी शिकायत में छात्रों ने बताया कि, सभी नवप्रवेशी छात्रों को स्कूल ड्रेस जैसे कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाता है। एक मोनोक्रोम शर्ट, एक ही रंग की पैंट, स्कूल के जूते और औपचारिक साइड बैग उनका ड्रेस कोड होता है। कॉलेज के अलावा हॉस्टल में भी सीनियर्स द्वारा मारपीट की जाती है और उन्हें मानसिक रूप से टार्चर किया जाता है। यह प्रक्रिया एक या दो बार नहीं, बल्कि व्यापक पैमाने पर हो रही है।