नही चलेगा तोमर के बंगले पर बुल्डोजर…क्यों?

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सूदखोरी के मामलों में फरार तोमर बंधुओं को बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई के दौरान रायपुर के तोमर बंधुओं के मकान तोड़ने के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी गई है। मामले में बचाव पक्ष की ओर से पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद वर्मा और वरिष्ठ अधिवक्ता सजल गुप्ता ने जोरदार पैरवी की।

रायपुर के तोमर बंधु पर आरोप है कि वे सूदखोरी के अवैध धंधे में संलिप्त हैं। प्रशासन ने उनकी चल-अचल संपत्तियों को जब्त करने और मकान को ध्वस्त करने की तैयारी की थी। इसी के खिलाफ तोमर बंधुओं ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

न्यायमूर्ति रविंद्र अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद तोमर बंधुओं के मकान तोड़ने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। अदालत ने प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। दोनों ही वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि बगैर उचित कानूनी प्रक्रिया के मकान तोड़ने की कार्रवाई अनुचित और मनमानी है। उनका तर्क था कि प्रशासन ने न्यायिक आदेशों की अनदेखी करते हुए तोमर बंधुओं के खिलाफ कदम उठाया।
हाईकोर्ट ने फिलहाल राहत देते हुए मकान तोड़ने पर रोक लगाई है, लेकिन अंतिम निर्णय प्रशासनिक पक्ष की दलीलें सुनने के बाद ही लिया जाएगा। अब यह देखना होगा कि प्रशासन अपने फैसले को न्यायालय में किस तरह से साबित करता है। इस मामले ने सूदखोरी और प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर एक नई कानूनी बहस को जन्म दिया है। हाईकोर्ट की इस अंतरिम रोक को तोमर बंधुओं के लिए एक बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है, हालांकि मामला अभी अदालत में लंबित है।

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