छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में बढ़ते धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम लाने की तैयारी कर रही है। इस विधेयक का मसौदा तैयार हो चुका है और इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
गृहमंत्री और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि इस मसौदे को तैयार करने से पहले ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड समेत 10 राज्यों के धर्मांतरण से जुड़े कानूनों का अध्ययन किया गया है।
52 से ज्यादा बैठकें करने के बाद यह ड्राफ्ट तैयार किया गया है, जिसमें धर्मांतरण को नियमबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया में लाने की कोशिश की गई है।
60 दिन पहले देनी होगी प्रशासन को जानकारी
ड्राफ्ट के अनुसार, कोई भी व्यक्ति धर्म परिवर्तन करने से पहले कम से कम 60 दिन पहले जिला प्रशासन को एक निर्धारित फॉर्म में सूचना देगा। इसके बाद प्रशासन पुलिस विभाग को जानकारी देगा और धर्म परिवर्तन के कारणों की जांच की जाएगी। यदि मामला संदिग्ध पाया जाता है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
धर्मांतरण करने वाले को नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ
यदि कोई अनुसूचित जाति या जनजाति का व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है, तो वह आरक्षण और अन्य सरकारी लाभों का पात्र नहीं होगा। साथ ही, बिना अनुमति धर्म परिवर्तन कर विवाह किया गया, तो विवाह को अमान्य माना जाएगा।
प्रलोभन, दबाव या धोखाधड़ी से धर्मांतरण हुआ तो होगी कड़ी सजा
ड्राफ्ट में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति लालच, धोखे, शादी या दबाव देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराता है, तो उसे कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा के साथ ₹25,000 से ₹50,000 तक जुर्माना देना होगा। यदि सामूहिक धर्मांतरण पाया गया, तो सजा और जुर्माना दोनों बढ़ेंगे।
धर्म परिवर्तन के बाद अनिवार्य वैरिफिकेशन
धर्म परिवर्तन के 60 दिन के भीतर व्यक्ति को एक और डिक्लेरेशन फॉर्म भरकर जिला प्रशासन के सामने पेश होना होगा। इसकी एक प्रति नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी, ताकि यदि परिजनों को कोई आपत्ति हो तो वे पुलिस में FIR दर्ज करा सकें। यह अपराध गैर-जमानती होगा।
विधायक ने कराई 4 महिलाओं की ‘घर वापसी’
इस बीच रायपुर दक्षिण के विधायक पुरंदर मिश्रा ने धर्म परिवर्तन कर चुकीं चार महिलाओं की घर वापसी करवाई है। उन्होंने महिलाओं के पैर धोकर उन्हें शॉल और श्रीफल भेंट किए। मिश्रा ने कहा कि ‘जगन्नाथ सेना’ हर रविवार को धर्मांतरण विरोधी गतिविधियों पर नजर रखेगी।
धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम क्या है?
यह अधिनियम हर नागरिक को अपनी इच्छानुसार धर्म चुनने की स्वतंत्रता देता है। लेकिन नया संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि कोई व्यक्ति दबाव, लालच या धोखाधड़ी से धर्म न बदल सके।
धर्मांतरण के चलते आत्महत्याओं के मामले भी आए सामने
राज्य में हाल ही में दो आत्महत्याएं भी सामने आईं, जिनके पीछे कथित रूप से धर्म परिवर्तन का दबाव बताया गया। धमतरी के लीनेश साहू और बालोद के सूरज देवांगन ने धर्म परिवर्तन के दबाव से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। दोनों मामलों में ससुराल पक्ष पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डालने के आरोप हैं।