ऐसा कैसे: ठेले पर फल बेचने वाले बिहारी दंपती के नाम 459 एकड़ जमीन!

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छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन रजिस्ट्रेशन को पारदर्शी और ऑनलाइन बनाने का संकल्प लिया था ताकि जनता को सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। लेकिन महासमुंद जिले के पिथौरा में जो मामला सामने आया है, उसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 459 शासकीय और निजी जमीनों को गलती से बिहार से आए एक साधारण फल बेचने वाले दंपत्ति के नाम दर्ज कर दिया गया।

आरती देवी गुप्ता और मुकेश गुप्ता नामक यह दंपत्ति पिथौरा में ठेले पर फल बेचकर अपना जीवन यापन करता है। 28 जनवरी 2024 को जब इनका नाम बी1 रिकॉर्ड में सामने आया, तो प्रशासन से लेकर आमजनता तक हैरान रह गई। 459 अलग-अलग खसरों की करोड़ों की जमीन इनके नाम दर्ज हो गई थी।

असली जमीन मालिकों की मुश्किलें बढ़ीं
इन जमीनों के वास्तविक मालिक अब परेशान हैं। न तो वे जमीन पर लोन ले पा रहे हैं, न ही उसे बेच पा रहे हैं। मुकेश गुप्ता के अनुसार, उनके घर रोज जमीन के असली मालिक पहुंचते हैं और सरकारी दफ्तरों से उन्हें बुलावा आता है। खुद यह दंपत्ति अब पटवारी कार्यालय के चक्कर काट रहा है ताकि ये गलत रिकॉर्ड हटाए जा सकें।

पटवारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप
भूमि मामलों के जानकारों का कहना है कि यह गलती अक्सर जानबूझकर की जाती है। भोले-भाले लोगों के नाम पर जमीन दर्ज कर दी जाती है, जिससे बाद में उनसे पैसे लेकर सुधार कराया जा सके। पिथौरा का यह मामला भी तत्कालीन पटवारी की कार्यप्रणाली को संदिग्ध बनाता है।

प्रशासन ने कही जांच और सुधार की बात
पिथौरा एसडीएम ओंकारेश्वर सिंह ने मीडिया को बताया कि दस्तावेजों की जांच कराई जाएगी और धारा 115 के तहत सुधार की प्रक्रिया की जाएगी। प्रशासन इस बात की गहराई से जांच करेगा कि गलती किस स्तर पर हुई और उसमें कौन दोषी है।

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