छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित वैशाली नगर विधानसभा से उठा एक बड़ा सवाल अब पूरे प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन चुका है, दरअसल बिहार कोकिला स्वर्गीय शारदा सिन्हा जी के नाम पर वैशाली नगर विधानसभा के कुरूद गांव का एक तालाब नामित करने के घोषणा के बाद इस इलाके में क्षेत्र वासियों ने छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के साथ MLA ऑफिस पहुंचकर घोषणा का विरोध किया, तत्पश्चात विधायक ने घोषणा रद्द करते हुए तालाब का नाम पूर्व नामित पंथी पुरोधा देवदास बंजारे के नाम पर ही रखने का समर्थन किया, इस बीच तू तू मैं मैं में विधायक रिकेश सेन ने छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के पदाधिकारी चेतन छत्तीसगढ़िया का गला पकड़ लिया जो छत्तीसगढ़ की मीडिया के साथ ही राष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा का विषय रही, इसके बाद विधायक ने नया दांव खेलते हुए यही घोषणा कर दी कि नगर निगम में क्षेत्र के जितने भी वार्ड है उसका नामकरण छत्तीसगढ़ के विभूतियां के नाम पर होगा और उन्होंने इस बात के लिए निगम को प्रस्तावित भी कर दिया।
क्या अब यह कदम पूरे प्रदेश भर में उठाया जाएगा?
विधायक रिकेश सेन ने जो पहल शुरू है उसका अनुसरण प्रदेश के सभी विधायकों को करना चाहिए और अपने विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा छत्तीसगढ़िया पुरोधाओं को स्थापित करने की शुरुआत करनी चाहिए।
भाजपा अपने पार्टी पुरोधाओं को बदले, कांग्रेस अपने पार्टी पुरोधाओं को बदले और स्थापित करें छत्तीसगढ़ के पुरखों को: CKS
यह एक शानदार पहल होगी क्या इस पहल की शुरुआत विधायक रिकेश सेन ने कर दी है? कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सिर्फ उनके पार्टी पुरोधाओं के नाम बदले जा रहे हैं, यह एक बड़ा बदलाव होगा कि कांग्रेस के विधायक भी अपने क्षेत्र में भाजपा के पार्टी पुरोधाओं का नाम बदलकर छत्तीसगढ़ के पुरखों को स्थापित करें, दोनों ही पार्टी के छत्तीसगढ़िया नेताओं को इस बात के लिए जोरदार समर्थन मिल रहा है कि वह अपने पार्टी पुरोधाओं को हटाकर अपने प्रदेश के पुरोधाओं को सम्मान दे रहे हैं, शायद यही परिवर्तन छत्तीसगढ़ की राजनीति चाहती है!
अब देखना होगा कि नाम परिवर्तन की राजनीति में छत्तीसगढ़ के पूर्वजों को सम्मान मिल पाता है या महज यह एक राजनीतिक स्टंट ही साबित होगा।
संपादक संवाद: गजेंद्ररथ गर्व, प्रदेशवाद