पद्मश्री पुरस्कार की सूची में छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के प्रसिद्ध गोंड मुरिया जनजाति के कलाकार पंडी राम मंडावी का नाम शामिल किया गया है।
यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा।
बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को दे रहे नई पहचान
68 वर्षीय पंडी राम मंडावी पिछले पांच दशकों से बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संजो रहे हैं, बल्कि उसे एक नई पहचान भी दे रहे हैं।
उनकी खास पहचान बस्तर बांसुरी, जिसे ‘सुलुर’ कहा जाता है, के निर्माण में है। इसके अलावा, उन्होंने लकड़ी के पैनल पर उभरे हुए चित्र, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को वैश्विक स्तर पर फैलाया है।
एक सांस्कृतिक दूत के रूप में पंडी राम मंडावी ने अपनी कला का प्रदर्शन 8 से अधिक देशों में किया है। साथ ही, अपने कार्यशाला के जरिए उन्होंने 1,000 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देकर इस कला को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
पंडी राम मंडावी ने मात्र 12 वर्ष की आयु में अपने पूर्वजों से यह कला सीखी और अपनी मेहनत और कौशल से छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।