प्रकाश मुनि साहेब ने दामाखेड़ा में हुए हमले को लेकर आशंका जताई है की हो ना हो यह 2020 की घटना से जुड़ी है, उन्होंने कहा है की कोविड के समय दामाखेड़ा पंचायत ने उनकी जानकारी के बिना आश्रम में धर्मदास जयंती पर एक भव्य कार्यक्रम के लिए संस्कृति विभाग से 10 लाख रुपए प्रस्तावित कर मांगे थे जो उन्हें मिला भी लेकिन उन पैसों के लिए अलग से अकाउंट खोला गया और पैसों में धांधली हुई जिनकी जानकारी उन्हें साल भर बाद लगी और इसके बाद उन्होंने आरटीआई लगाकर सिमगा जनपद से इस पूरे मामले की सूचना मांगी लेकिन उन्हें नहीं दिया गया और अंततः उन्हें तत्कालीन गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू जी से शिकायत करनी पड़ी इसके बाद पूरी जानकारी उन्हें खुद साहू जी ने दामाखेड़ा पहुंचकर दस्तावेज सहित सौंपे, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ की तत्कालीन सरपंच पति ने संस्कृति विभाग से उनके नाम से 10 लाख रुपए मांगे और उन्हें मिला भी लेकिन वह पैसा आश्रम में खर्च न होकर सरपंच पति ने अन्यत्र खर्च कर डाले जिसकी फर्जी बिल की कॉपियां भी उन्हें दस्तावेज में मिली है, हो सकता है यही बात उनकी नाराजगी का कारण हो जिसे लेकर आरोपी सरपंच पति ने 15-20 लोगों के साथ दिवाली की रात कबीर आश्रम में हमला कर दिया, उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें पता ही नहीं है कि आखिर कारण क्या था वह उदित मुनि साहेब पर आरोप लगा रहे थे कि उनके द्वारा कहीं कोई फटाका जलाकर घर की ओर फेंका गया था जो कि सरासर गलत था प्रकाश मुनी साहेब ने बताया की सभी उपद्रवी हथियारों से लैस होकर गंदी गालियां देते हुए आश्रम में घुसे थे और उदित मुनि को बाहर निकालने और हिसाब बराबर करने की धमकी दे रहे थे जिसकी सूचना उन्होंने पुलिस में दी।
बताते चलें कि हमले की सूचना के बाद प्रदेश भर से और देश के कोने-कोने में रहने वाले कबीर पंथ के लोग दामाखेड़ा में इकट्ठे हुए, प्रकाश मुनी साहब ने धर्मावलंबियों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
छत्तीसगढ़ में यह अपने तरीके का पहला घटना है जिसमें कबीर पंथ आश्रम पर इस तरह से हमला हुआ, जिसकी प्रदेश और देशभर में निंदा हो रही है, पुलिस ने 16 आरोपितों को गिरफ्तार किया है और कार्रवाई जारी है।