छत्तीसगढ़ वैभवशाली प्रदेश जिसका गौरवशाली इतिहास, लेकिन क्या पूरा का पूरा वैभव इतिहास में सिमटा है या कुछ बाकी रह गया!
जी हां कुछ बाकी रह गया था जिसे पूरे गौरव के साथ लिपिबद्ध किया है एस अंशु धुरंधर ने एक ऐसे पुरखे की सच्ची कहानी जो बाहुबली थे, जिन्हें लोग भीम कह कर पुकारते थे जो अकेले ही 10 लोगों का काम कर लेते थे, जिनके ताकत की मिसालें जमाना देता है।
वो पुरखा हैं स्व.चिंताराम जी छत्तीसगढ़ के भीम जो इतिहास के पन्नों में कहीं गुमनाम हो गए थे, लोगों की जुबान पर उनका नाम तो था, उनकी कहानी आज की पीढ़ी सुन भी रही थी, कहानी बताने वालों ने उन्हें देखा भी था।
उनके किस्से परी कथा जरूर लगते थे, लेकिन थे नहीं, वह सच थे, हकीकत थे और इसी हकीकत को दुनिया के सामने लाने आज की पीढ़ी ने बड़ा काम किया।
राजधानी रायपुर से 70 किलोमीटर दूर पलारी ब्लाक और यहीं से कुछ दूरी पर ग्राम जारा जहां के धूनी युवक एस. अंशु धुरंधर ने अपने पूर्वज की गौरव गाथा को जीवंत किया है।
ग्राम बुडगहन के रहने वाले दाऊ चिंताराम टिकरीहा जिन्हें छत्तीसगढ़ के भीम की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि वे सच में बाहुबली थे उनके शरीर में हाथी सा बल था, मन में दया और परोपकार की भावना थी, लोगों के लिए अपनी दौलत लुटाते थे, कई तालाब, कुआं, बांध और न जाने क्या क्या जनहित के काम दाऊ जी ने कराए।
आज भी उन्हें याद कर लोग गौरव से भर उठते हैं, उनके जीवन पर अंशु ने एक शॉट फिल्म बनाई है और दाऊ जी के जीवन पर पुस्तक भी लिखी है गुगल पर सर्च कर ज्यादा जानकारी मिल जाएगी।
दाऊजी के गांव बुडगहन में फिल्म की स्क्रीनिंग हुई जिसमे शामिल होने समाज के केंद्रीय अध्यक्ष सहित कई दिग्गज पहुंचे इस मौके पर मंत्री टंकराम वर्मा ने मुदगर उठाकर अपने पुरखा का गौरव महसूस किया साथ ही इस गौरव को हमारी पीढ़ी आगे बढ़ाए ऐसी उम्मीद जताई, साथ में सांसद विजय बघेल ने भी पुरखे को नमन किया।