मुख्यमंत्री विष्णुदेव साथ को छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष आरएस विश्वकर्मा ने आयोग का प्रतिवेदन सौंप दिया है।
प्रदेशभर में विभिन्न स्त्रोतों से एकत्र किए गए डाटा के अनुसार ओबीसी की गिनती में ज्यादा उलटफेर नहीं हुआ है। राज्य में करीब 42 प्रतिशत ओबीसी होने के संकेत हैं।
बताते हैं कि ट्राइबल इलाकों में ओबीसी वर्ग के लोगों की काफी कमी है। इसके अलावा पंचायतों में इसकी संख्या ज्यादा है।
जिला और जनपद पंचायतों में भी काफी लोग हैं। चार नगर निगमों में ओबीसी काफी संख्या में मिले हैं।
इस वजह से आयोग ने सरकार से अनुशंसा की है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड-लाइन के अनुसार अगर वह चाहे तो 50 फीसदी के अंदर आरक्षण दे सकती है। जब तक सरकार इस रिपोर्ट को मंजूर नहीं करती तब तक गोपनीयता का हवाला देकर आयोग के पदाधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इस आयोग का गठन तीन माह पहले किया था। आयोग को जिम्मेदारी दी गई थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति के अध्ययन करना। इसके लिए प्रदेशभर में सर्वे किया गया। आयोग ने समय के पूर्व ही अपना काम पूरा कर लिया। सीएम ने इसे लेकर आयोग के पदाधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि आप लोगों ने बड़ा काम कर दिखाया है।
निकाय पंचायत में आरक्षण भी
आयोग की रिपोर्ट सरकर स्वीकार करेगी या नहीं यह भविष्य में तप होगा। अब इसे केबिनेट की मीटिंग में एजेंडे के रूप में शामिल कर पारित करना होगा। फिर एक्ट में संशोधन करना होगा। इनके आधार पर ही आरक्षण तथ होगा। दिसंबर में प्रस्तावित नगरीय निकाय और जनवरी में प्रस्तावित पंचायत चुनाव में भी आरक्षण इसी के आधार पर होगा।
अब क्या करेगा आयोग
आयोग अब ओबीसी की गिनती के बाद उनकी संख्या के अनुपात में सरकारी विभागों की संरचना एवं योजनाओं में ओबीसी की वर्तमान भागीदारी का अध्ययन करेगा। वर्तमान में शैक्षणिक संस्थाओं में ओबीसी को मिल रहे लाभ का आंकलन करेगा। ओबीसी युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का आंकलन व वृद्धि के उपाय की सरकार को अनुशंसा करेगा।
10 अक्टूबर को किया गया अपलोड
आयोग ने आंकड़ों की रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसके पहले उसने इस वर्ग के लोगों को नाम जुड़वाने का अवसर दिया था। वचित लोगों को फिर से 8 अक्टूबर तक अपनी जानकारी जमा करने को कहा था। कुटे हुए परिवारों के आंकड़ों को सम्मिलित कर प्रविष्टि 10 अक्टूबर तक वेबसाइट पर अपलोड किया गया।