बस्तर के मशहूर यूट्यूबर, पत्रकार और ‘बस्तर जंक्शन’ यूट्यूब चैनल के एडमिन मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।
उनकी लाश बीजापुर में एक ठेकेदार के सेप्टिक टैंक से बरामद हुई। इस घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
लापता होने के बाद मिली कुछ दिनों बाद लाश।
मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी 2025 से लापता थे। उनके परिजनों ने बीजापुर पुलिस में उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के बाद पुलिस सक्रिय हो गई और उनकी तलाश में जुटी रही।
सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ शव
पुलिस को जांच के दौरान कुछ अहम सुराग मिले। इन सुरागों के आधार पर बीजापुर में एक ठेकेदार के घर स्थित सेप्टिक टैंक की खुदाई कराई गई, जहां से मुकेश का शव बरामद किया गया। शव की हालत देखकर घटना की क्रूरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
भ्रष्टाचार उजागर करने के कारण हत्या की आशंका!
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि मुकेश चंद्राकर सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले को उजागर कर रहे थे। ठेकेदार और उनके बीच इसी मामले को लेकर विवाद होने की आशंका जताई जा रही है। माना जा रहा है कि विवाद के चलते ही उनकी हत्या कर दी गई और शव को छिपाने के लिए सेप्टिक टैंक में डाल दिया गया।

निष्पक्ष जांच और सख्त सजा की मांग
इस हृदयविदारक घटना के बाद चंद्राकर के परिवार और बस्तर के पत्रकार संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कठोर से कठोर सजा दी जाए। मीडिया सम्मान परिवार ने कहा कि यह घटना न केवल पत्रकारिता की आजादी पर हमला है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए खतरे की घंटी है।
पुलिस का बयान और जांच जारी!
बस्तर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने कहा है कि जल्द ही हत्या के पीछे की साजिश और इसमें शामिल अन्य पहलुओं का खुलासा किया जाएगा। पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि मामले को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा।
पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल इसकी मौत पर आखिर कौन है जिम्मेदार?
मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पत्रकारों की सुरक्षा और भ्रष्टाचार उजागर करने के जोखिमों पर एक बार फिर प्रकाश डाला है। यह घटना न केवल बस्तर, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि पत्रकारिता को सुरक्षित और स्वतंत्र बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
यह घटना समाज और प्रशासन के लिए एक चुनौती है, जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है।
आखिर सरकार क्यों नहीं लेती ऐसे लोगों को संज्ञान में।
छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ सहित प्रदेशभर के पत्रकार संगठनों ने इस घटना पर दुख जताते हुए सरकार से सवाल भी किया है की, क्या सच के लिए लड़ने वालों की यही अंतिम स्थिति होगी?
किसी ठेकेदार के घर पर सेप्टिक टैंक में शव मिला है, सेप्टिक टैंक को ऊपर से सीमेंट से बंद भी कर दिया गया था ऐसी खबर है, ऐसे में एक बड़ा सवाल है कि आखिर जब पत्रकार को जान से मारने की धमकी मिल रही थी तब पुलिस प्रशासन ने इस बात पर गंभीरता क्यों नहीं दिखाई और लगातार पत्रकार सुरक्षा कानून की बात सरकार करती रही है लेकिन यह भी एक हवा हवाई नारा ही बना हुआ है!
छत्तीसगढ़िया पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र रथ वर्मा ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए पत्रकार साथी के पीड़ित परिवार के लिए यह दुख सहन करने की क्षमता मिले ऐसी मां दंतेश्वरी से प्रार्थना की है और संगठित होकर एक बड़ी लड़ाई लड़ने की घोषणा भी की है।
उन्होंने प्रदेशभर के पत्रकारों से आह्वान किया है की चुप न बैठे आवाज बुलंद करें।