“जबर हरेली रैली भेलई” आठ सालों से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का साइन प्रोग्राम है!
वर्ष 2025 का यह कार्यक्रम 20 जुलाई को स्पात नगरी भिलाई में संपन्न हुआ, जैसा की हर साल होता है।
CKS से जुड़े प्रदेश भर के लोग जिनमें हर राजनीतिक दल से जुड़े लोग शामिल होते हैं और प्रदेश की इस बड़ी और कृषि प्रधान पर्व को एक साथ मनाते हैं।
गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का इस पर्व को भिलाई में मनाने का बड़ा कारण है, कहा जाता है संगठन निर्माण की नींव यहीं इसी शहर में बैठक कर रखी गई थी!
एक दूसरा बड़ा कारण यह भी माना जाता है की प्रदेश के शहरों में भिलाई ही एक ऐसा शहर है जिसे लगातार मिनी इंडिया का टैग दिया जाता रहा है, भौतिक रूप से यह है भी क्योंकि इस शहर में हर प्रांत से लोग आकर बसे हैं और अब यहीं के हो चुके हैं!
संगठन की माने तो यह क्षेत्र पर-प्रांतवाद का गढ़ है और स्थानीय अस्मिता यहां अंतिम सांस ले रही है, ऐसे में यहीं से क्षेत्रवाद का शंखनाद सुफलकर होगा इस विचार के साथ यह शुरुवात हुई।
यह एक सफल सोंच साबित हुई और बड़ा संदेश प्रदेशभर में साल दर साल जाने लगा, हजारों लाखों की संख्या में लोग प्रदेशभर से भिलाई पहुंच कर यह संदेश देने में सफल हुए की हमारी अस्मिता जिंदा है और इसके लिए हम छत्तीसगढ़िया समाज हर मंच पर तैयार भी हैं।
आज जब गैर राजनीतिक CKS की पॉलिटिकल विंग JCP एक विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी है तब लगातार राजनीतिक और गैर राजनीतिक विचारधारा टकरा रही है?
पूर्व में रायपुर जिला ग्रामीण से CKS के अध्यक्ष फिर राजनीतिक पार्टी के प्रदेश कार्यकारणी बनाए गए पत्रकार गजेंद्ररथ गर्व विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद की प्रादेशिक बैठक में राजनीतिक दल JCP से इस्तीफा देकर अलग हो चुके हैं!
उसी बैठक में तत्कालीन रायपुर जिला CKS अध्यक्ष धीरेंद्र साहू भी इस्तीफा देकर JCP से अलग हो गए जबकि धीरेंद्र ही ऐसे व्यक्तित्व थे जिसने JCP की टिकट पर रायपुर ग्रामीण से विधानसभा का चुनाव लड़ा था और सबसे ज्यादा मतों से जेसीपी के सबसे चहेते प्रत्याशी भी रहे!
तब JCP ने प्रदेशभर में लगभग 31 सीटों के लिए नामांकन भरा था, कई जगह रद्द भी हुए, पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष अमित बघेल अपने गृह विधानसभा धरसींवा से प्रत्याशी रहे जिनका चुनाव संचालन तब के CKS रायपुर ग्रामीण अध्यक्ष गजेंद्ररथ और खरोरा CKS उपाध्यक्ष प्रियंकर सेन कर रहे थे और ये दोनों ही JCP में अब सक्रिय नहीं हैं!
वहीं बहुत से ऐसे सदस्य जो अपनी विचारधारा के अनुरूप कई राजनीतिक दलों से जुड़े थे जो CKS के सदस्य भी थे पर राजनीतिक पार्टी बनने के बाद CKS से कट चुके हैं।
दूसरी ओर कई कारणों से CKS से अल्गियाए सदस्य एक अलग गुट गैर राजनीतिक छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के रूप में अभी भी सक्रिय हैं जिसका प्रतिनिधित्व कोरबा के अधिवक्ता दिलीप मिरी और धीरेंद्र साहू, तेजतर्रार मिसाबंदी ठाकुर राम गुलाम सिंह के संरक्षण में कर रहे हैं यहां पर यह बताना लाज़िमी है की दस साल पहले जब CKS ने क्रांति की मशाल सुलगाई थी तब भी यही ठाकुर राम गुलाम सिंह अमित बघेल और गिरधर साहू के संरक्षक हुआ करते थे!
JCP निर्माण के बाद से ही राजनीतिक संगठन में बीजेपी और कांग्रेस के अय्यार चुपके से घुस चुके थे और अब उनकी मेहरबानी से CKS और JCP के सदस्यों में मनभेद शुरू हुए और आखिरकार एक दूसरा गुट खड़ा हो गया।
CKS और JCP में एक ही व्यक्ति अथवा टीम की मनमानी सदस्यों ने स्वीकार नहीं की, सबका विचार था की राजनीतिक दल और गैर राजनीतिक दल अपना अलग चाल चरित्र और चेहरा निर्मित करे।
CKS का उद्देश्य निर्धारित था वहीं राजनीतिक दल JCP में अब देशी और परदेशी के भेद को लेकर असमंजस छाने लगा, क्योंकि एक राजनीतिक दल को व्यापक विचार और उद्देश्य के साथ काम करना होता है लेकिन प्रदेश कार्यकारणी, शीर्ष नेतृत्व को CKS और JCP साथ लेकर चलना था यहां तक कि दोनों संगठनों का कंट्रोल भी तथाकथित कोर टीम ही कर रही थी! इसी बात पर मनभेद बना और तब के प्रदेश कार्यकारणी गजेंद्ररथ एक झटके में इस्तीफा देकर अलग हो गए थे।
धीरे धीरे इसी तरह से राजनीतिक और गैर राजनीतिक के फेर ने मनभेद को बढ़ा दिया!
इस बार भिलाई मंच की चूक या इशारा कुछ और?
CKS के नियमों के अनुसार भिलाई जबर हरेली रैली का मंच केवल गैर राजनीतिक दल के लिए था जो अब राजनीतिक विंग भी इस्तेमाल करने लगी है यह बात तेजी से सेना में चर्चा का विषय बन रहा है!
बहुत से सेनानियों का मानना था की इस साल के भिलाई रैली मंच ने प्रदेश संयोजक गिरधर साहू को अनदेखा किया है जिसका मुख्य कारण भी राजनीतिक विंग का CKS में एकाधिकार जैसा जान पड़ता है?
सेना में प्रदेश संयोजक की भूमिका को लगातार निष्क्रिय किया जा रहा है जिसके चलते आने वाले दिनों में एक बड़ा परिवर्तन देखने मिल सकता है!
भिलाई का जो मंच प्रदेश संयोजक के लिए सुरक्षित होता रहा है इस बार गिरधर साहू को प्रदेश संयोजक शब्द सम्मान से भी वंचित कर दिया गया और यह संदेश CKS सेनानियों को समझ आ रहा है?
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना को लेकर भी बड़ा संशय बना हुआ है, बताया जा रहा है की बिना प्रदेश संयोजक की सहमति से प्रदेश महिला क्रांति सेना अध्यक्ष लता राठौर को भी पदमुक्त कर दिया गया है और इसकी जानकारी भी उन्हें किसी कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष संबोधित करने से मिली पर आजतक प्रदेश में महिला विंग प्रदेश अध्यक्ष की सीट खाली ही है?
इस बात पर संगठन से कोई आधिकारिक बात सामने नही आती और न ही किसी पदाधिकारी को हटाने और पदयुक्त करने से पहले का कोई प्रजातांत्रिक बैठक की खबर होती है जिससे संगठन में काफी लोग छिन्न हैं और शायद दोफड़ होने का यही सबसे बड़ा कारण भी?
वरिष्ठ समाजसेवी और राजनीतिज्ञ की सलाह
प्रदेश के जाने माने समाजसेवी, राजनीतिज्ञ और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ सलाहकार श्री विष्णु बघेल जी ने एक FB पोस्ट पर कमेंट करते हुए कहा है की अब इन दोनों संगठनों को अपना अलग अलग संगठनात्मक ढांचा तैयार कर काम करना चाहिए
बताते चलें की श्री बघेल की ही बनाई गई प्रादेशिक राजनीतिक दल जय छत्तीसगढ़ पार्टी का ही बदला स्वरूप ही आज का जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी है और श्री विष्णु बघेल JCP के वर्तमान कार्यालय सचिव भी हैं।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का अपना तेवर है जो किसी भी राजनीतिक दल को तकलीफ दे सकता है और ऐसा होता भी रहा है पर अब सेना अपनी खुद की राजनीतिक विंग को प्रमोट कर रही है ऐसे में राजनीतिक पंडितों का मानना है की सेना को राजनीति से दूर रख कर काम किया जाए ताकि पॉलिटिक्स से परे आम छत्तीसगढ़िया को लगे की सेना निःस्वार्थ छत्तीसगढ़िया वाद के उद्देश्य पर अडिग है।