बिहार के हाथरस इलाके में संचालित चकले से छत्तीसगढ़ की 41 नाबालिग लड़कियों को पुलिस ने छापेमारी कर छुड़वाया है यह खबर छत्तीसगढ़ में आग की तरह फैली और लोगों में भारी गुस्सा भी है, होना भी चाहिए!
अकूत खनिज संसाधनों से पूर्ण छत्तीसगढ़ के माथे पर गरीबी और गरीबी ने यहां की बेटियों को बिकने पर मजबूर कर दिया?
या फिर नौजवान पीढ़ी की मानसिक उड़ान जो बंधन मुक्त जीवन की कीमत चुका रहीं हैं?
मैं एक पत्रकार हूं और अक्सर थानों में बैठना होता है, जहां घर से भागे नौजवान उम्र के लड़के लड़कियों के मामले आते रहते हैं, जो आजकल बहुत ज्यादा बढ़ चुके हैं।
जिस तरह लड़कियां अपने प्रेमी के साथ होकर माता पिता को दुश्मन मानने लगती हैं, लाख समझाने के बाद भी उनका लौटना मुश्किल होता है, बेबस माँ बाप अपने कर्मों को कोसते, रोते बिलखते घर लौट जाते हैं, यह सब देख कर मन बहुत दुखी होता है, किसे जिम्मेदार मानें, प्रेम को जो अपरिपक्व है, कुछ समझने को तैयार नही या फिर उन माता पिता को जो अपने ही बच्चों को दुश्मन नजर आते हैं?
शायद! उम्र की नादानी और हार्मोन्स का उथल पुथल इस पड़ाव में भारी अनहद होने का पर्याय है!
पर क्या हमने अपने बच्चों को इस हद तक दोस्त बनाया है कि वे हमें हर भावों से अवगत करा सकें?
दुनिया तेजी से हया की हदों से पार जा रही है, डिजिटल युग और संचार के अनगिनत मंचों ने मेलजोल सहज सरल कर रखा है।
कहां 80 का दशक जब प्रेम प्रस्ताव देने की इच्छा मात्र से कंपकपी आ जाती थी और आज सहज, सुलभ तरीके से बातें या संदेशों का आदान प्रदान हो जाता है।
मुहब्बत अब तिज़ारत बन गई है… यह एक एवरग्रीन हिंदी गीत है, लेकिन क्या लिखने वाले ने सोंचा रहा होगा कि सच मुच प्रेम, व्यापार बन जायेगा?
छत्तीसगढ़ तेजी से औधोगिक हो रहा है, हमारे खरोरा नगर के आसपास ही दर्जनों उद्योग स्थापित हैं, जहां उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और कई प्रदेशों से कामगार नौजवान मजदूरी कर रहे हैं, कई मामलों में देखा गया है कि ये युवा आसपास की लड़कियों को प्रेम जाल में फांसते है और भगा ले जाकर बेच देते हैं, ऐसे कई मामलों में प्रदेश पुलिस की कार्रवाइयां उदाहरण है।
धरसींवा विधानसभा के एक गांव में परप्रांतीय नौजवान जिस घर में किराए से रहता था उसी घर की बेटी को ले भागा और जब लड़की लौटी तो पता चला युवक शादीशुदा, दो बच्चों का बाप था और लड़की को बेचने की फिराक में दिल्ली ले गया था जहां से जैसे तैसे लड़की जान बचा कर भागी थी।
इस तरह के कई मामले हैं जिससे पता चलता है की मुहब्बत का तिज़ारत जोर शोर से चल रहा है!
और अब यह संगठित माफिया है जिनका रोजगार ही क्षद्म प्रेम है!
कैसे बताएं बेटियों को उनके लिए क्या सही?
बच्चें चकाचौंध पसंद हो चले है, नई उम्र में अप्रसांगिग चीजें ही उन्हें आकर्षित करती हैं, लड़ाई झगड़ों में माहिर गुंडे सरीखे लड़के उन्हें हीरो लगते हैं जो उनसे बेधड़क प्यार का इज़हार कर दे वही हिम्मतवाला है!
यह पहला चरण और अंतिम दर्द से भरा हुआ जिसे लड़कियां बयां नही कर पातीं और घुटती रहती हैं उम्र भर?
इस उम्र की समझ भी बड़ी कच्ची सी, शारीरिक आकर्षण उन्हें प्यार लगता है और माता पिता की जवाबदारियां पाबंदी!
बड़ी गलतियां ऐसे ही होती हैं।
कॉर्पोरेट पेज थ्री वाली दुनिया में कब कौन सी सोंच उद्यम हो जाये इसका बड़ा उदाहरण हम अपने आसपास देख ही रहे हैं, ऊपर से करेले पे निमचढा ये इंटरनेट दानव, जहां सच और झूठ में फर्क दिखता ही नही!
हिंदी फिल्म मर्दानी या इस जैसी कई और फिल्मों में नाबालिग लड़कियों की ट्रैफिकिंग के रहस्यों को उजागर किया गया है।
एक अपराध विश्लेषण के आधार पर बताया गया है कि एक लड़की फंसा कर दलाल 30 से 50 हजार रुपये कमा लेता है!
इसमें लागत क्या है झूठा प्रेम?
लच्छेदार बातें, लड़की को घुमाना, फ़िल्म दिखाना, कुछ गिफ्ट्स और फिर लड़की से ही उसका घर लुटवाकर भाग निकलते हैं ये नर पिशाच!
मेरी जानकारी में राजधानी रायपुर के आसपास ही औद्योगिक इलाकों से दर्जनों लड़कियां गायब हैं! जिनकी प्राथमिकी भी दर्ज है और अब उनके परिवारों का अपनी लड़की से कोई संपर्क नही? बंगोली की एक घटना में FIR मेरे सामने हुआ था।
एक दशक पहले की घटना है, शराब ठेकों पर लठैत का काम करने वाले बिहारी बाबुओं की फौज शराब माफियों के सिपहसालार हुआ करते थे, मेरे एक परिचित के घर से लड़की उनमें से एक के प्रेम जाल में फंस गई और भाग कर बिहार पहुंच गई, जहां पता चला लड़का पहले से शादीशुदा है, मां बाप खोज खबर लेते बिहार के उस गांव पहुंचे तो लड़की बदहाल अधमरी हो चली थी, न केवल उसका छद्म प्रेमी बल्कि प्रेमी का भाई, बाप और दोस्त यार भी लड़की से रेप करते थे, स्थानीय पुलिस से मदद लेकर जैसे तैसे बेटी को वापस लेकर आये और लड़की का जीवन दोबारा संवारा।
इस तरह कई मामले हैं जो सोंचने को मजबूर करते हैं इस उम्र की गलती सिर्फ बेटी के लिए नही बल्कि मां बाप और पूरे परिवार के लिए जीवन भर का दर्द बन जाता है!
यह खेल केवल छत्तीसगढ़ में नही बल्कि पूरे देश में चल रहा है, जहां ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक बड़ा व्यापार बन चुका है, जिसका फैलाव अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच चुका है।
एक परिचित को दिल्ली के किसी कंपनी से जॉब ऑफर हुआ, मोटी तनख्वा के लालच में जनाब दिल्ली चले गए, ऑफिस की चाय में ऐसा क्या था कि भयंकर पेट दर्द हुआ हॉस्पिटलाइज हुए, अपेंडिक्स बता कर ऑपरेशन भी कर दिया, बाद में खबर लगी किडनी गायब है और इस सदमें ने ही पीड़ित की जान लेली!
ठीक इसी तर्ज पर जवान लड़कियों को प्रेम, शादी, नौकरी या कई तरह के प्रलोभन में फंसा कर उनके अंगों की तस्करी कर चकलों में देह व्यापार के लिए बेच देने की जानकारियां अक्सर खबरों की नमक बनती रही है।
देश और प्रदेश की सरकारों के साथ हर व्यक्ति को ऐसे मामलों के लिए सचेत रहने की जरूरत है।
परिवार में समय देना और बच्चों की बढ़ती उम्र में मां बाप के लिए उनका दोस्त बन जाना आज समय और भावनाओं की जरूरत है।
विचार: गजेंद्ररथ गर्व, संपादक- प्रदेशवाद 9827909433