खरोरा नगर पंचायत अपना इतिहास दोहरा रही है ऐसा कहना है नगर बुजुर्गों का दरअसल 2004-05 में जब पहली बार ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बने खरोरा में नगर सरकार की भूमिका तय की गई तब उस वक्त भी अरविंद देवांगन ने बीजेपी से टिकट मांगी थी लेकिन तब भी भारतीय जनता पार्टी ने नगर के युवा प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया और फलस्वरूप अरविंद देवांगन को निर्दलीय चुनाव लडना पड़ा, तब अरविंद देवांगन बीजेपी के सक्रिय सदस्य थे, बताते चलें की गौंटिया बाड़ा परिवार में अरविंद देवांगन का ही परिवार है जो शुरू से संघीय विचारधारा से जुड़ा और भारतीय जनता पार्टी को नगर में स्थापित करने वाला परिवार है।
लेकिन जब उन्हें बिना कारण टिकट से विमुख रखा गया तब नगर वासियों ने उन्हें निर्दलीय लड़ने आदेशित किया और वे लड़ कर भारी मतों से विजयी हुए।
अरविंद देवांगन नगर पंचायत खरोरा के पहले अध्यक्ष होने का गौरव भी अपने माथ सजाए और आमजनों के विश्वास पर खरा उतरते हुए अनगिनत विकास कार्यों की सौगात से नगर का श्रृंगार हुआ जो आज नगर के वैभव का पर्याय है।
2004-05 में जब अरविंद देवांगन को टिकट नहीं मिला था तब बीजेपी से सूरज सोनी और खरोरा बस्ती से ठाकुर राम वर्मा कांग्रेस के प्रत्याशी थे।
खरोरा नपं की मतदाता संख्या तब कुल 4388 थी जो आज बढ़कर दोगुना है लगभग 7856 मतदाता।
वर्ष 2004-05 में तब बीजेपी से सूरज सोनी को 984 वोट और कांग्रेस के ठाकुर राम वर्मा को 784 वोट मिले थे, निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद देवांगन तब 1490 वोट लेकर भारी मतों से जीत कर नए नगर पंचायत खरोरा का प्रथम नगर पंचायत अध्यक्ष बनकर नगर सत्ता पर आसीन हुए और आज ठीक लगभग 20 सालों बाद इतिहास खुद को दोहरा रहा है।
यहां यह भी जानना जरूरी है की इस बीच 2014 में निशा अरविंद देवांगन फिर से नगर पंचायत अध्यक्ष चुने गए थे और विकास की परंपरा को कायम रखा था और अब वही पारी फिर से आई है ऐसा उनके समर्थक कह रहे हैं!
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