चुनाव लड़ने आखिर कैसे तैयार हुए अरविंद देवांगन? जानिए पूरी कहानी…अध्यक्ष, पार्षदों के कितने उम्मीदवार देखें यहां!

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चुनाव लड़ने आखिर कैसे तैयार हुए अरविंद देवांगन? जानिए पूरी कहानी!

नगर पंचायत खरोरा में अरविंद देवांगन का अध्यक्ष पद चुनाव के लिए लगातार जारी हां… ना पर अब विराम लग गया है और अंततः अरविंद गौंटिया चुनाव लड़ने तैयार हुए और नामांकन भी दाखिल कर आए है!

निशा अरविंद देवांगन नामांकन दाखिल करते हुए

पूरी कहानी जानते हैं, दरअसल नगर पंचायत खरोरा में अध्यक्ष पद के लिए अरविंद देवांगन ने अपनी पार्टी बीजेपी से टिकट के लिए दावेदारी की थी, इस दावेदारी के पीछे भी बीजेपी नेताओं का चुनाव लड़ने के लिए दबाव ही था ऐसा माना जा रहा है!

पार्टी को वे जिताऊ प्रत्याशी लगे ऐसे में उन्हें संपर्क कर दावेदारी दिलवाई गई, इस बात की भी चर्चा है।

दाई कारिया दामा मंदिर में पूजा अर्चना करती निशा अरविंद देवांगन

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मामला इस बात पर गड़बड़ाया की कहीं अरविंद देवांगन बीजेपी से जीत कर अध्यक्ष बन जाते हैं तब कुछेक बीजेपी नेताओं का पार्टी में वर्चस्व पर बात आ जाती!
ऐसे में उनके तथाकथित विरोधी इस बात को मुद्दा बनाकर आलाकमान से मिले की अरविंद देवांगन अभी कुछ महीनों पहले ही पार्टी ज्वाइन किए हैं!

मां महामाया और शीतला मंदिर में टेका माथा

ऐसे में उन्हें टिकट देना सही नही होगा, जबकि पार्टी के ही कुछ असंतुष्ट कार्यकर्ताओं और पार्षद दावेदारों का मानना है कि किसी महिला नेत्री जो अभी अभी कांग्रेस से बीजेपी में आई है को पार्टी ने पार्षद प्रत्याशी बनाया है!

ऐसे में यह बात गले नही उतरती की अरविंद देवांगन का कुछ समय पहले पार्टी ज्वाइन करना कोई मुद्दा था?

वहीं दूसरी ओर जब पार्टी ने टिकट घोषित कर दी, तब शीर्ष नेताओं के कहने पर अरविंद देवांगन चुनाव नहीं लड़ने के लिए राजी हो गए और जब यह बात नगर में खासकर पुरानी बस्ती में आग की तरह फैली तो लोगों का उनके निवास पर पहुंचना शुरू हुआ।

बीजेपी से सुनीता अनिल सोनी और पार्षद प्रत्याशियों संग विधायक अनुज

बुजुर्ग, युवा, महिलाएं सवाल करने लगी की आखिर वे चुनाव क्यों नहीं लड़ना चाहते?
जिस पर अरविंद देवांगन ने पार्टी से टिकट नही मिलने वाली मजबूरी जाता दी, जिस पर नगरवासियों ने आपत्ति जताई और उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ने दबाव बनाया, लोगों का मानना था की नगर में लंबे अर्से से कोई सही और दमदार अध्यक्ष नही देखा गया?

कांग्रेस से मोना बबलू भाटिया और उसके समर्थक नामांकन दाखिल करते

लोगों ने उनके पुराने कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की फेहरिस्त तान दी और आज उन्ही निर्माणों की दुर्गति पर चिंता जताते हुए फिर से नगर विकास की बागडोर थामने आग्रह करने लगे।

लोगों ने कहा, की वे अपने लिए न सही बल्कि उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए, पुरानी बस्ती खरोरा के वैभव को प्रदिप्तमान करने के लिए मैदान में उतरें!
नगरवासियों की टीम ने भरोसा दिलाया की वे चेहरा बनकर मैदान में आएं बाकी जनता पर छोड़ दें और इस बीच सब ने मिलकर निशा अरविंद देवांगन को मनाया, क्योंकि महिला सीट है और निशा भी एक बार अध्यक्ष रह कर जनसेवा कर चुकी हैं।

लगभग सैकड़ों लोगों ने उन्हें उनके घर पर जाकर नगर खरोरा में सियानी की परंपरा को कायम रखने की बात कही और अंततः निशा अरविंद देवांगन निर्दलीय चुनाव लड़ने तैयार हुए।

फिर क्या था 28 जनवरी नामांकन का आखरी दिन और वक्त भी महज दो घंटे शेष थे ऐसे में आसपास की सैकड़ों महिलाएं, पुरुष, युवा, बुजुर्ग सभी इक्कठे हो गए और नामांकन दाखिल करने निकल पड़े।
नगर में जब यह चर्चा आम हुई की निशा अरविंद देवांगन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, मोहल्लों में फटाखे फूटने लगे, चौराहों पर लोग खुश होकर एक दूसरे को बधाई देने लगे, नामांकन के बाद निशा अरविंद देवांगन अपने समर्थकों के साथ मां करियादामा, मां महामाया और मां शीतला मंदिर सहित नगर के देवताओं का आशीर्वाद लिया।

इस बीच रास्ते भर मुहल्ले के लोग घर से बाहर निकलकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे।

यह जानकारी भी निकलकर सामने आई की नगर के कई समाज प्रमुखों ने उन्हें घर पहुंचकर समर्थन और बधाई दी!

वहीं जब अरविंद देवांगन से यह सवाल किया गया की आखिर क्यों वे चुनाव लड़ने मजबूत मन नही बना पा रहे थे?

उन्होंने बताया कि वे पार्टी से टिकट की उम्मीद टूटने के बाद और प्रमुख पार्टी सदस्यों के आग्रह पर चुनाव नही लड़ रहे थे लेकिन नगरवासियों के साथ ही पुरानी बस्ती के बुजुर्गों, महिलाओं, युवाओं के भावनात्मक संबंध, उनके भरोसे और विश्वास के सामने झुक गए और चुनावी रण में कूद पड़े।

यह बताते हुए अरविंद देवांगन भाउक हो गए थे, उनका मानना था की जिन चाहने वालों के लिए वे पार्टी बदल कर भी जन मन का विकास करने, उनके काम आने पर विश्वास करते हैं ऐसे लोगों के लिए उनकी जनता किसी भी दल से उपर है और उन्होंने अपनी ऐसी जनता का आदेश मात्र ही माना है, हार जीत जैसे मनोविज्ञान से उन्हें ज्यादा फर्क नही पड़ता।
इस निर्णय में उनका पूरा परिवार एकमत था क्योंकि जनता एकमत होकर ही उन्हें मनाने गई थी।

बताते चलें की 28 जनवरी को नामांकन के अंतिम दिन, अध्यक्ष पद के लिए कुल 5 नामांकन भरे गए जिनमें बीजेपी से सुनीता अनिल सोनी, कांग्रेस से मोना बबलू भाटिया तीन अन्य निर्दलीय प्रत्याशी जिनमें हीरा अशोक अमलानी, पायल राकेश अग्रवाल और निशा अरविंद देवांगन शामिल हैं।

पार्षद पद के लिए कुल 50 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया जिनमें 15 कांग्रेस, 15 बीजेपी और 20 निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं।
31 जनवरी नाम वापसी की अंतिम तारीख है, जिसके बाद 10 दिन प्रत्याशियों को प्रचार प्रसार का समय मिलेगा और 11 फरवरी को EVM से मतदान होंगे जिसका परिणाम 15 फरवरी को घोषित कर दिए जाएंगे।

देखें सभी दलों के नामांकन का वीडियो…

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