एक युवक के जुनून ने सालों से गुमनाम छत्तीसगढ़ के एक पुरोधा के जीवन को पुनर्जीवित कर दिया।
पलारी के पास ग्राम जारा यूं तो स्वयंभू महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है अब एक और नाम इस ग्राम को अलग पहचान देने जा रहा है, एस. अंशु धुरंधर नाम के इस खोजी और धूनी नौजवान ने छत्तीसगढ़ के भीम को खोज निकाला और अब आप उनका जीवन शॉर्ट फिल्म में देख सकते हैं।
भाटापारा जिले के गौरव ग्राम बुडगहन के पहलवान व तुरतुरिया मंदिर के जीर्णोद्धार कर्ता, सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय भुमिका निभाने वाले स्व चिंताराम टिकरिहा पर बनी फिल्म छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम 6 जनवरी को रिलीज़ एक शानदार आयोजन में रिलीज हुई।
इसके साथ ही उनके जीवन से संबंधित पुस्तक का भी विमोचन भी किया गया।
छत्तीसगढ़ के महानायक चिंताराम के जीवन पर आधारित प्रेरणादायी फिल्म को वैदिक राज (Vaidic Raj) यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया किया गया है।
यह फिल्म उनके संघर्षमय जीवन, सामाजिक और अनगिनत परोपकारी कार्यों और शिक्षा के प्रचार के लिए उनके द्वारा किए अमूल्य योगदान को उजागर करती है. स्व. चिंताराम ने विशेष रूप से तुरतुतिया मंदिर के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे आज क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है.
बता दें कि इस फिल्म के निर्देशक एस अंशु धुरंधर ने नौ वर्षों तक इस परियोजना पर शोध-कार्य किया. उन्होंने कहा, चिंताराम जी का जीवन सिर्फ छत्तीसगढ़ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है. उनकी मेहनत और समर्पण की गाथा आज की पीढ़ी को सार्थक दिशा दे सकती है।
उन्होंने शोध के आधार पर एक पुस्तक भी लिखी है, जो चिंताराम जी के जीवन के अनछुए पहलुओं को सामने लाती है।
फिल्म छत्तीसगढ़ के भीम चिंताराम का ट्रेलर पहले ही सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर चुका है. इसे अब तक लाखों दर्शकों ने देखा है. अमेरिका, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, चीन सहित 13 देशों के दर्शकों ने इसे पसंद किया है।
फिल्म और पुस्तक का अनावरण चिंताराम की कर्मभूमि बुडगहन (अंबुजा रवान से 9 किमी उत्तर दिशा में) में किया गया, इस कार्यक्रम का आयोजन उनके सुपुत्र धनेश टिकरिहा द्वारा किया गया, यह फिल्म और पुस्तक चिंताराम को श्रद्धांजलि के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक प्रयास है।