चिटफंड कंपनियों की चोरी अभी भी छत्तीसगढ़ में बेखौफ जारी है।
चेहरे और तरीके बदल रहे हैं लेकिन लूठ जस की तस।
असमंजस कर देने वाला यह मामला कोरबा जिले से है जहां फ्लोरा मैक्स नाम की कंपनी ने पहले तो स्व सहायता समूह की महिलाओं को पैसा कमाने का लालच दिया और अच्छा जीवन स्तर का भरोसा दिलाकर कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए तैयार कर लिया, लेकिन गरीब महिलाओं के पास पैसे तो थे नहीं ऐसे में फ्लोरा मैक्स ने महिलाओं को बैंकों से लोन दिला दिए और लोन के पैसों को अपनी कंपनी में इन्वेस्ट कर दिया और कंपनी बंद करके भागने के लिए अब लोन देने वाली बैंक लोन लेने वाले समूह की महिलाओं को लोन के पैसे किस्तों में पटाने के लिए दबाव बन रही है, इस दबाव के चलते तीन महिलाओं ने आत्महत्या भी कर ली ऐसा आंदोलनकारी महिलाओं का कहना है और अब सभी महिलाएं सरकार को सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी भी दे रही है।
पीड़ित महिलाओं ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों अफसर पर भी आरोप लगाया है जो फ्लोरा मैक्स कंपनी के कार्यक्रमों में जाकर अतिथि बन रहे थे और फोटो खिंचवा रहे थे।
पीड़ित महिलाओं का कहना है कि उन्होंने बड़े-बड़े नेताओं अधिकारियों की उपस्थिति देखकर ही फ्लोरा मैक्स पर विश्वास किया था।
ऐसे में वे नेता और अफसर भी अपराधी है! पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 48000 है और ठगी गई रकम लगभग 120 करोड़ बताई जा रही है, प्रदेश में यह पहला मामला है जो बैंक से लोन दिलाकर ठगी कर फरार हो गया।
सोचने वाली बात यह भी है की जो बैंक आम आदमी को लोन देने के लिए जूते घिसवा देती है उन बैंकों ने इन गरीब महिलाओं को इतनी आसानी से लोन दे कैसे दिया और अगर लोन दिलवाने में फ्लोरा मैक्स के एजेंट ने साथ दिया है तो फिर यह दोनों के सांठ गांठ का भी मामला बनता है, इस पर भी पुलिस को जांच करनी चाहिए जिससे फ्लोरमैक्स कंपनी और लोन देने वाली बैंकों के बीच का संबंध पता लगाया जा सके!
पीड़ितों ने मोर्चा खोल दिया है अब देखना होगा सरकार का अगला कदम क्या होने वाला है क्या प्रशासन फ्लोर मैक्स के तो को पड़ती है या फिर पहले के चित फंड कंपनियों जैसे केवल आमलोग ही ठगे जाते हैं?