छत्तीसगढ़ की राजभाषा छत्तीसगढ़ी, जिसकी स्थापना दिवस के मौके पर एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संघ ने आयोजित की लिखबो,पढ़बो, बोलबो छत्तीसगढ़ी इस मौके पर मातृभाषा छत्तीसगढ़ी को लेकर चिंतन भी हुआ मंथन भी हुआ और सांस्कृतिक संध्या भी आयोजित हुई, इस समारोह के साक्षी बने तेलीबांधा तालाब और राजधानी रायपुर के हजारों लोग।
यूं तो 28 नवंबर 2007 छत्तीसगढ़ी के स्थापना दिवस का यादगार दिन है इस यादगार दिन को सप्ताह का समारोह बनाने के लिए छत्तीसगढ़ियों ने एक जोरदार उदीन किया।
एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संघ प्रदेश अध्यक्ष ऋतुराज साहू और उसकी पूरी टीम ने एक शानदार संयोजन के साथ छत्तीसगढ़ी के लिए हुंकार भरी कार्यक्रम में उपस्थित विधायक अनुज शर्मा गुरु खुशवंत साहेब के साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा के लेखक साहित्यकार कलाकार पत्रकार सभी उपस्थित रहे, इस मौके पर ऋतुराज साहू ने छत्तीसगढ़ की मातृभाषा छत्तीसगढ़ी को प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बनाए जाने का पुरजोर समर्थन करते हुए भाषा की अनदेखी करने वालों को करारा जवाब दिया और कहा कि वह छत्तीसगढ़ी ही है जिसने पद्मश्री अनुज शर्मा को पद्मश्री का ताज दिया, वह छत्तीसगढ़ी ही है जिसने तीजन बाई को पद्मभूषण से नवाज दिया और न जाने कितने ही लोग छत्तीसगढ़ी में काम करने के कारण ही आज जाने पहचाने जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी हमारी मातृभाषा प्रशासनिक कामकाज की भाषा नहीं बन पाई है, प्राथमिक शिक्षा का माध्यम नहीं बन पाई है तो कमी क्या है? यह बड़ा चिंतन का विषय है, मंच से ही अपने उद्बोधन में ऋतुराज ने संकल्प लिया की सरकार की यह पंचवर्षीय मातृभाषा छत्तीसगढ़ी को समर्पित हो और इसके लिए एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन और सभी छत्तीसगढ़ी के कर्ताधर्ता एक ताकत के साथ मातृभाषा को सम्मान दिलाने के लिए लड़ेंगे।
विधायक अनुज शर्मा ने अपने उद्बोधन की शुरुआत छत्तीसगढ़ी गाने से की और कहा कि जिस छत्तीसगढ़ी ने हम सबको बनाया है उस मातृभाषा को प्रशासनिक कामकाज की भाषा बनाने के लिए उनकी पार्टी वचनबद्ध है और वह इसके लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं साथ ही उन्होंने यह भी अपील की ज्यादा से ज्यादा आम जीवन के बोलचाल और व्यवहार में सभी प्रदेशवासी छत्तीसगढ़ी को प्रमुखता से स्थान दें।
कार्यक्रम में उपस्थित आरएसएस के वरिष्ठ पूर्व प्रांत सरसंघचालक बिसरा राम यादव ने भी छत्तीसगढ़ी को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त की और कहा कि जिस तरह से देश में हिंदी सर्वोपरि है ठीक उसी तरह से राज्यों में उनकी मातृभाषा को सम्मान मिलना ही चाहिए।
आरंग विधायक गुरु खुशवंत साहेब ने कहा की छत्तीसगढ़ी हमारे अंतस की भाषा है और इसे सम्मान देना हमारी पहली प्राथमिकता है उन्होंने राजभाषा आयोग में जल्द से जल्द अध्यक्ष और कार्यकारिणी की नियुक्ति का भरोसा दिलाते हुए कहा की भाषा के लिए भी कोष की व्यवस्था कर छत्तीसगढ़ी को संवर्धित करने का पूरा प्रयास उनकी सरकार करेगी, उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के संदेश को भी मंच पर सुनाया और आवश्यक बैठक के कारण नहीं पहुंच पाने पर खेद व्यक्त करते हुए भाषा के लिए संकल्पित होने के संदेश का वाचन किया।
इस मौके पर मंचीय कार्यक्रम में लोक गायक सुनील तिवारी द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना गीत अरपा पैरी के धार ने लोगों को भाव विभोर कर दिया ठीक इस प्रस्तुति के साथ ही सड़क पर एक वृद्ध महिला का छत्तीसगढ़ महतारी वंदना करते हुए नृत्य भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इस कार्यक्रम में एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संघ के सभी पदाधिकारी, सदस्य, छत्तीसगढ़ के सभी जिले से पहुंचे छत्तीसगढ़ी के छात्र-छात्रा, कवि लेखक, पत्रकार, साहित्यकारों में छत्तीसगढ़ी मातृभाषा के लिए सरकार से मिलकर प्रशासनिक कामकाज की भाषा बनाने के साथ ही प्राथमिक शिक्षा का मध्य मनाने के लिए प्रस्ताव देने की बात कही।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लेखक, पत्रकार, समाजसेवी गजेंद्ररथ गर्व, ईश्वर साहू बंधी, कवि मिनेश साहू, साहित्यकार दानेश्वर शर्मा, सुधीर शर्मा, वैभव बेमेतरीहा, टीवी एंकर तृप्ति सोनी सहित सैकड़ों की संख्या में छत्तीसगढ़ी भाषा प्रेमी उपस्थित रहे।