छत्तीसगढ़ निर्माण के 24 सालों बाद अगर यहां का गरीब मजदूर, मजबूर जनता किसी गैर राजनीतिक संगठन के भरोसे न्याय की उम्मीद कर रहा है तो आप सोच सकते हैं की प्रदेश में विकास और कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश लगातार औद्योगिकीकरण की ओर बढ़ रहा है गांव में खेती जमीनें बिक कर फैक्ट्री में तब्दील हो चुकी है, जहां से अनाज पैदा होते थे वहां से लोहा और सीमेंट पैदा हो रहे हैं पर सच तो यह है की लोहा और सीमेंट पेट नहीं भर सकते, पेट भरने के लिए अनाज की ही जरूरत है लेकिन अब यहां के किसान पेट पालने के लिए मजदूरी कर रहे हैं और यह उद्योग जिन्हें इन्हीं किसानों ने जमीन दी अब वह इन्हीं के जमीर से खेल रहे हैं।
आए दिन छत्तीसगढ़ के औद्योगिक इकाइयों में दुर्घटनाएं हो रही है कारण साफ है सुरक्षा उपकरणों की भारी कमी है क्योंकि आम छत्तीसगढ़ियों की जिंदगी दो कौड़ी की रह गई है और इसी दो कौड़ी की जिंदगी बचाने के लिए लड़ रही है प्रदेश की एकमात्र गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना।
जी हां, आए दिन उद्योगों में हो रहे दुर्घटनाओं के शिकार, सरकार और प्रशासन से कम और क्रांति सेना से न्याय की उम्मीद ज्यादा कर रही है और करें भी क्यों ना सेना के सेनानी 24 घंटे लोगों की मदद करने के लिए तैयार हैं।
ऐसे ही यह घटना में अपना पांव गवा चुके एक पीड़ित का कहना है की अगर क्रांति सेना के सेनानी ना होते तो उन्हें सेठ साहूकार एक धेला भर का मदद ना करते। उन्होंने अपना अनुभव साझा किया और बताया की किस तरह से उद्योगपति मजदूरों की जिंदगी से खेल रहे हैं और सिर्फ खेल ही नहीं रहे बल्कि उन्हें अपंग बनाकर मौत से बद्तर जिंदगी देकर उनके गरीब परिवारों के बीच धीसत कर जीने के लिए छोड़ रहे हैं, तो आखिर आगे कौन आ रहा है?
कौन उनकी मदद कर रहा है, कौन राजनेता उनका हाल-चाल पूछ रहा है?
कोई नहीं, उनके साथ खड़ा है तो सिर्फ छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और शायद इसीलिए क्रांति सेना इस प्रदेश की बढ़ती ताकत है।
आम गरीब गुरुवा जनता की आवाज है और इस आवाज को बुलंद करना होगा इतना बुलंद की सत्ता के ठेकेदार भी थर्रा उठे !
सत्ता की गलियारों में इसका आगाज हो चुका है और जिस तरह से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के सेनानी प्रदेश के पुरखे, संस्कृतियों और भाषा सम्मान की रक्षा के लिए कमर कस कर भीड़ चुके हैं, ऐसे में आने वाला कल छत्तीसगढ़ का सुखद भविष्य लेकर आएगा, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के होते यह उम्मीद विश्वास में बदलना मुमकिन है।
बेमेतरा ब्लास्ट मामले में जिस तरह से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने पीड़ित परिवारों को 40-40 लाख रुपए का मुआवजा दिलवाया उसके बाद से यह संगठन लोगों के दिलों में घर कर गया और अब तो हर घर से युवा इस संगठन का हिस्सा बन रहे हैं, कहीं भी छत्तीसगढ़ियों के साथ अनाचार हो रहा हो भाषा और प्रांत पर टिप्पणियां कसी जा रही हो या फिर किसी उद्योग में किसी गरीब के साथ अन्याय हो रहा हो, तब लोगों को छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना अपने हितों के रखवार के रूप में याद आती है और यही विश्वास इस गैर राजनीतिक संगठन को इस प्रदेश का संरक्षक की संज्ञा देता है।