छत्तीसगढ़ के बीते कुछ महीने अपराध और आतंक के ग्राफ को बढ़ाने वाला साबित हुआ है, यूं तो विपक्ष आरोप लगाती है कि बीजेपी की सरकार लॉ एंड ऑर्डर स्थापित नहीं पा रही है लेकिन गौर करने वाली बात यह है की छत्तीसगढ़ निर्माण के पहले और आज 24 सालों बाद स्थितियों का मूल्यांकन कुछ अलग कहता है।
समय का आंकलन किया जाए तो पता चलता है कि तब और अब में करोड़पतियों अरबपतियों की संख्या छत्तीसगढ़ में गुणोत्तर हुई है और जैसे की कहावत है जहां मीठा होता है वहां मक्खियां और चीटियां तो आती ही है, अपराध भी वही पनपता है जहां पैसा होता है, लगातार छत्तीसगढ़ में अपराधियों की एक्टिविटी बड़ी है सुपारी किलर, रंगदारी वसूली और न जाने क्या-क्या यह प्रदेश देख रहा है क्योंकि यह प्रदेश खनिजों का भंडार है और प्रदेश निर्माण के पहले यहां उतने संसाधन नहीं थे या कहें कि कारपोरेट की नजर यहां नहीं पड़ी थी इसलिए यहां के शांति पसंद लोग शांति से जी रहे थे लेकिन जब से नए राज्य ने दौड़ना शुरू किया है, यहां खनिजों के अकूत भंडार को दोहन करने की कॉर्पोरेट ने चाल चली है तब से यहां परिस्थितियां बदली है।
आम छत्तीसगढ़िया पैसा वाला नहीं है बल्कि वे लोग जो यहां पर पड़ोसी राज्यों से आकर बड़े-बड़े ठेके पर कब्जा जमाए, वही आज छत्तीसगढ़ में कोल माफिया, भू- माफिया, रेत माफिया और तो और राशन माफिया और न जाने क्या-क्या माफिया पैदा हो गए हैं और जब अंडरवर्ल्ड ने इन माफियाओं का खजाना खंगाला होगा तब उन्हें इस प्रदेश में संभावनाएं दिखी होगी और फिर शुरू हुआ रंगदारी।
जिस तरह बीते 24 सालों में छत्तीसगढ़ में अरबपतियों की संख्या बड़ी है, रईसी का यही ग्राफ अपराध और आतंक को नेवता है।
जिस तरह से इस देश में आर्थिक विपन्नता है चंद अरबपतियों के पास या यूं कहें की कुछ कॉरपोरेट्स ठेकेदारों के पास पैसे हैं और इन्हीं लोगों को निशाने पर लेकर अंडरवर्ल्ड माफिया अपनी चाल चल रही है।
प्रकाश झा की एक फिल्म है अपहरण जिसमें दिखाया गया है की किस तरह से बेरोजगार युवा हार कर निराश हो जाते हैं तब वह अपराध का रास्ता चुनते हैं और ठीक वही हाल छत्तीसगढ़ का भी है लेकिन गनीमत की छत्तीसगढ़िया नौजवान मेहनतकश है और जल्दी ही अपराध की ओर नहीं मुड़ता लेकिन इन्हें बरगलाया जा रहा है इन्हें पैसों का लालच देकर कम समय में ज्यादा पैसे कमाने का सपना दिखाकर इन्हें अपराधी बनाया जा रहा है और यह काम कर रहे हैं यूपी बिहार के छठे बदमाश जो लगातार छत्तीसगढ़ को अपनी मांद बनाए बैठे हैं यह प्रदेश उनके लिए एक मुफीद जगह है जहां बैठकर वह अपने आपराधिक गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं, इस प्रदेश में कुछ 1 सालों में हत्या के मामले बढ़े हैं, लूटपाट और डकैती के मामलों में वृद्धि हुई है और सारे पकड़े गए अपराधी दूसरे प्रदेशों से संबंध रखने वाले ही थे, इससे मामला साफ है कि बाहर प्रदेशों से आकर इस शांत छत्तीसगढ़ को अपराध गढ़ बनाने की बहुत बड़ी साजिश चल रही है।
पन्ने पलट कर देखा जाए तो कुछ साल पहले जो लोग लोहा कोयला और जमीन माफिया थे आज वह छत्तीसगढ़ की राजनीति में विधायक और मंत्री बनकर यहां की सत्ता पर काबिज हैं और लगातार ऐसे लोगों की संख्या छत्तीसगढ़ की राजनीति में बढ़ रही है, क्या कारण है इस विषय पर विश्लेषण किया जाए!
यह वही प्रदेश है जो कभी शांति के लिए जाना जाता था यहां के भोले भाले लोग जिन्हें सिर्फ खेती आती थी, आज गांव-गांव में जमीन कब्जे का खेल चल रहा है सीमेंट के लिए बड़ी-बड़ी माइंस बन रही है, यूपी बिहार से लोग थोक के भाव में आ रहे हैं, शहर तो दूर गांव में भी कब्जा जमा रहे हैं, अब ऐसे में जहां चार नदियों का पानी मिले वहां का शुद्ध जल तो प्रदूषित होगा ही!
वही हाल छत्तीसगढ़ का हुआ आज 24 सालों में ना तो यहां की सभ्यता बची और ना ही यहां की संस्कृति!
आज से 25 साल पहले यहां छठ पर्व किसी को पता नहीं था लेकिन आज दुनिया का सबसे बड़ा छठ घाट छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में है! छत्तीसगढ़ के गांव गांव में शीतला तालाबों पर छठ घाट का बोर्ड लगा रहे हैं और शायद यही शुरुआत है इस प्रदेश की वास्तविकता को खत्म करने की?
नशा, अपराध इस प्रदेश की तासीर में कब घुसी और देखते ही देखते पूरा प्रदेश अपराध गढ़ बन गया, यह किसी से छुपा नहीं है अब देखना होगा कि आखिर कब ऐसी सरकार इस प्रदेश में बनेगी जो यहां की मौलिकता को बचा सके।
जिस गति से राष्ट्रीय पार्टियों ने यहां के मिनरल्स पर लूट मचाया है इससे तो यह स्पष्ट है कि उन्हें यहां के लोगों यहां की संस्कृति सभ्यता साहित्य भाषा से कोई लेना-देना नहीं है वे सिर्फ और सिर्फ यहां की खनिजों को लूटना चाहते हैं और अगर इसी गति से सरकारें छत्तीसगढ़ को लूटती रही तो बहुत जल्द ही यहां की जनता उलगुलान का स्वर ऊंचा करेगी!
दबे पांव ही सही भीतर ही भीतर छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़िया वाद की अलख से सज रही है और इसका यही बदलाव छत्तीसगढ़ को बचाने वाला बदलाव साबित होगा।