दशहरा या दंसहरा…?
क्वांर मास की शुक्लपक्ष दशमी तिथि को मनाये जाने वाला पर्व दशहरा है या दंस+हरा = दंसहरा है ..?
ज्ञात रहे, विजया दशमी और दशहरा दो अलग-अलग पर्व हैं। लेकिन हमारी अज्ञानता के चलते इन दोनों को गड्ड-मड्ड कर एक बना दिया गया है।
जहाँ तक विजया दशमी की बात है, तो इसे प्राय: सभी जानते हैं कि यह भगवान राम द्वारा आततायी रावण पर विजय प्राप्त करने के प्रतीक स्वरूप मनाया जाने वाला पर्व है। लेकिन दशहरा वास्तव में ‘दंसहरा’ है.
दशहरा वास्तव में दंस+हरा=दंसहरा है। दंस अर्थात विष हरण का पर्व है। सृष्टिकाल में जब देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे, और समुद्र से विष निकल गया था, जिसका पान (हरण) भगवान शिव ने किया था, जिसके कारण उन्हें नीलकंठ कहा गया था। इसीलिए इस तिथि को नीलकंठ नामक पक्षी को देखना आज भी शुभ माना जाता है। क्योंकि इस दिन उन्हें शिव जी (अपने कंठ में विष धारण करने वाले नीलकंठ) का प्रतीक माना जाता है।
आप लोगों को तो यह ज्ञात ही है कि समुद्र से निकले विष के हरण के पांच दिनों के पश्चात ही अमृत की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए हम आज भी दंसहरा के पांच दिनों के पश्चात अमृत प्राप्ति का पर्व शरद पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।
ज्ञात रहे कि छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति, जिसे मैं आदि धर्म कहता हूँ वह सृष्टिकाल की संस्कृति है। युग निर्धारण की दृष्टि से कहें तो सतयुग की संस्कृति है, जिसे उसके मूल रूप में लोगों को समझाने के लिए हमें फिर से प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग यहाँ के मूल धर्म और संस्कृति को अन्य प्रदेशों से लाये गये ग्रंथों और संस्कृति के साथ घालमेल कर लिखने और हमारी मूल पहचान को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
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