छत्तीसगढ़ वन विभाग ने केंते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की वन भूमि डायवर्सन के प्रस्ताव की अनुशंसा कर 5 लाख पेड़ो को काटने का रास्ता साफ़ किया l
भारतीय वन्य जीव संस्थान की अनुशंसा और छत्तीसगढ़ विधानसभा के संकल्प के विपरीत अदानी को लाभ पहुचाने हेतु लिए गए वन स्वीकृति के निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए l
हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित केंते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक में कोयला खनन हेतु वन भूमि के व्यपवर्तन (डायवर्जन) के प्रस्ताव को वन मंडलाधिकारी, सरगुजा द्वारा अनुशंसा कर दी गई है। वन मंडलाधिकारी की इस अनुशंसा ने हसदेव अरण्य में एक और खनन परियोजना को मंज़ूरी देकर समृद्ध जंगल जमीन के विनाश का रास्ता साफ़ कर दिया l छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन और हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति वन विभाग के इस निर्णय का कड़ा प्रतिरोध जताते हुए इस अनुशंसा को तत्काल निरस्त करने की मांग राज्य सरकार से करते हैं l वन विभाग का यह निर्णय न सिर्फ भारतीय वन्य जीव संस्थान की हसदेव अरण्य में खनन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिशों के विपरीत है बल्कि, छत्तीसगढ़ विधानसभा के उस प्रस्ताव की भी अवमानना है जिसमे सर्व सम्मति से हसदेव अरण्य के सभी कोल ब्लॉक को निरस्त करने का संकल्प हुआ था l
वन विभाग की यह अनुशंसा केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव का हिस्सा है, जिसके तहत 1742 हेक्टेयर घने जंगल को खनन कार्यों के लिए साफ किया जाना प्रस्तावित है, जो परियोजना का 97% क्षेत्र है। जिसमे 5 लाख पेड़ काटे जाएँगे | इसी वर्ष जनवरी में केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने इस परियोजना की पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा की है| केते एक्सटेंशन में माइनिंग हेतु वन भूमि डायवर्सन की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है क्योंकि EAC की अनुशंसा के एक साल के भीतर इसकी वन भूमि डायवर्सन के स्टेज-I की स्वीकृति अनिवार्य है, तभी पर्यावरण स्वीकृति पत्र जारी किया जाएगा| अतः इस परियोजना के वन भूमि डायवर्सन के प्रस्ताव पर दिनांक 26-06-2025 को स्थल निरीक्षण के पश्चात वन मंडलाधिकारी, सरगुजा द्वारा अनुशंसा पत्र जारी किया गया|
यह ज्ञात हो कि लेमरू हाथी रिज़र्व इस परियोजना से 3 किलीमीटर की दूरी पर स्थित है| इस संबंध में पूर्व कॉंग्रेस सरकार ने 13-08-2020 एवं 19 जनवरी 2021 को पत्र जारी कर हाथी के संरक्षण और हाथी द्वन्द को रोकने, पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता एवं जल उपलब्धता जैसे विषय की गंभीरता को सामने रखते हुए इस परियोजना पर आपत्तियां दर्ज की थी | इन सभी विषयों खास कर के हाथी मानव द्वन्द की छत्तीसगढ़ में गंभीर स्थिति और पर्यावरण संवेदनशीलता के सवालो को दरकिनार करते हुए केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की EAC कमिटी और राज्य में वन मण्डलाधिकारी, सुरगुजा द्वारा केते एक्सटेंशन परियोजना की पर्यावरण एवं वन स्वीकृति के प्रस्ताव की अनुशंसा की गई है | भारतीय वन्यजीव संस्थान ने हसदेव अरण्य की जैव विविधता पर किये गए अध्ययन में भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि “हसदेव एक महत्वपूर्ण वन्यजीव रहवास है और इस में कोई भी खनन बड़े पैमाने पर हाथी मानव द्वन्द की समस्या को इतना बढ़ा देगा कि इसको संभाल पाना राज्य के लिए कठिन हो जाएगा”|
इसके साथ ही इस परियोजना के संबंध में स्थानीय लोगों ने पर्यावरण स्वीकृति की जनसुनवाई में भी अपने विरोध को दर्ज कराने 1623 व्यक्तिगत विरोध पत्र जमा किये| EAC ने लोगों के अपने वनों के विनाश के विरोध में दर्ज कराए गए पत्रों को भी संज्ञान में नहीं लिया और स्वीकृति की एकतरफा अनुशंसा जारी कर दी| वन स्वीकृति की यह अनुशंसा बहुत स्पष्ट रूप से भाजपा और उसकी विष्णुदेव साय सरकार की अदानी के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है l भाजपा को आदिवासियों के जीवन, उनकी आजीविका और संस्कृति की बजाए अदानी की लूट को बरकरार रखने की चिंता है l राज्य सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए इस अनुशंसा को तत्काल वापस नहीं लिया तो इसके ख़िलाफ़ प्रदेश व्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा l
इस स्वीकृति के बाद आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन और उमेश्वर सिंह आर्मो, संयोजक, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने प्रदेशव्यापी आंदोलन की घोषणा करते हुए सभी पर्यावरण प्रेमी और प्रदेशवासियों को आंदोलन में शामिल होने अपील की है।