सरकारी अस्पताल से मौत के मुहाने तक! जानिए पीड़ित परिवार का दर्द…आखिर क्या हुआ इनके साथ?

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रायपुर, खरोरा: सरकारी अस्पताल यूंही बदनाम नही है, यहां की गैरजिम्मेदाराना रवैया गरीबों को मौत के मुंह तक ले जाती है या फिर सीधे मौत के गाल में!

पीड़ित रामेश्वरी निषाद उम्र 31 वर्ष पति बीनाराम निषाद नगर पंचायत खरोरा के वार्ड नम्बर 9 की रहने वाली है, पति पत्नी और एक बच्चे का एकल परिवार है, पत्नी गर्भवती थी, घर में नए मेहमान आने को था पर इस परिवार को क्या पता था कि इन्हें सरकारी अस्पताल जाना इतना महंगा पड़ जायेगा !

24 अगस्त 2024 को हल्के जचकी दर्द पर पत्नी को लेकर बीनाराम खरोरा सरकारी अस्पताल पहुंचा क्योंकि खुद पति पत्नी डायग्नोस्टिक लैब चलाते हैं इन्हें खरोरा के सरकारी अस्पताल पर भरोसा था लेकिन यहां जो हुआ बीनाराम और उसका परिवार जिंदगी भर नही भूल पाएंगे।

पीड़ित ने बताया अस्पताल की नर्स ने आसानी से नार्मल डिलीवरी हो जाने की बात कही और शुरू हो गई, इस मशक्कत में नर्स के साथ पुरुष कर्मचारियों जैसे वार्ड बॉय और टेक्नीशियन की भी जंचकी में उपस्थित रहने की जानकारी परिवार ने दी है।

जच्चा रोती रही मिन्नतें करती रही दर्द से तड़पती रही पर स्टाफ ने पेट दबा कर आखिर नार्मल डिलीवरी कर ही दी पर उसके बाद महिला का रक्तस्राव नही रुका और मामला गंभीर होता देख रायपुर रेफर कर दिया गया, जहां मरीज की हालत देख गायनेकोलॉजिस्ट महिला डॉक्टर हतप्रद रह गई और पीड़ित महिला के पति को जल्द थाने में सूचना देने की सलाह दी पर अकेला पति एक नवजात समेत 2 बच्चों और गंभीर हालत में पत्नी को अकेला कैसे छोड़ता!

डॉक्टरों ने पीड़ित महिला के किडनियों में आघात बताया जो भारी रक्तस्राव व पेट में भारी दबाव से आया था और डिलीवरी के बाद पेट में रक्तस्राव से इंफेक्शन की भी जानकारी दी।

पीड़ित महिला का इलाज लगभग 30 दिनों से निजी अस्पताल में जारी है जहां वह डायलिसिस पर जिंदगी और मौत से लड़ रही है, दूसरी ओर उसका नवजात बच्चा भी कमजोर होता जा रहा है, अकेला पति बच्चों की देखभाल करे या पत्नी को? आखिर क्या गलती थी इस गरीब परिवार की, क्यों ऐसा गैरजिम्मेदाराना काम करते हैं नर्स व स्टाफ, बताया जा रहा है इस डिलीवरी के समय कोई ड्यूटी डॉक्टर जो स्पेशलिस्ट हो उपस्थित ही नही था ऐसे में इस परिवार पर टूटे पहाड़ का दोषी कौन है?

वैसे तो यही सरकारी अस्पताल वाले लोगों को बिना एम्बुलेंस से नीचे उतारे निजी अस्पतालों का रास्ता दिखा देते हैं, इस केस में ऐसी क्या सुपर एबिलिटी थी नर्स और अन्य सहयोगी स्टाफ में जो बिना ड्यूटी डॉक्टर या विशेषज्ञ डॉक्टर की अनुपस्थिति में प्रयोग कर लिए?

अब यह परिवार मानसिक रूप से कमजोर होने के साथ भारी अवसाद से गुजर रहा है, एक नवजात समेत 2 बच्चों की मां ही नही बल्कि उसका पूरा परिवार डायलिसिस पर आ गया है और इस हालत के जिम्मेदार किसी और गरीब को शिकार बना रहे होंगे!

परिवार ने इस मामले में न्याय के लिए कदम बढ़ाने का फैसला किया है, जिम्मेदारों को कटघरे में लाने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसकी शिकायत करने जा रहे हैं ताकि गैर जिम्मेदारों को सजा मिले और कोई परिवार इस तरह बर्बाद न हो! जननी, जीवन जन कर खुद मौत के मुहाने तक न पहुंचे इसके लिए हमारी सरकारें करोड़ो रूपये खर्च करती है पर व्यवस्था की पोल खोलती इस तरह की घटनाएं आमजन में सरकारी अस्पतालों को लेकर विश्वास खोती जा रही है!

इस मामले में सरकारी अस्पताल की प्रमुख डॉक्टर श्रीमती देवधर से हमारी चर्चा हुई उन्होंने बताया कि कुछ केस में ऐसा हो जाता है जिसके चलते रक्तस्राव नही रुकता उन्होंने बताया कि तब वे अस्पताल में उपस्थित नही थी नर्स और अन्य स्टाफ ने यह जंचकी कराई है, उनका कहना था कि जंचकी में किसी तरह की लापरवाही नही की गई है, बच्चा स्वस्थ्य पैदा हुआ है और डिलीवरी के 4 घण्टे बाद जब हालत बिगड़ी तब पीड़ित को रेफर किया गया।

बताते चलें कि खरोरा सरकारी अस्पताल में कुछ दिन पहले ही इस बात का भी खुलासा हुआ कि यहां लैब में धोबी का काम करने वाले कर्मचारी से खून जांच के लिए मरीजों का खून निकालने व लैब में काम जैसी सेवाएं ली जा रही थी जिसकी शिकायत के बाद उक्त पर निलंबन की कार्रवाई की गई है।

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