राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से घिरी छत्तीसगढ़ियावाद…!!

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छत्तीसगढ़ियावाद बनाम अवसरवाद!
लगातार सोशल मीडिया में छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के ही नए पुराने सेनानियों में जुबानी जंग जारी है। एक ओर जहां एक धड़ा दूसरे धड़े पर जातिवाद का आरोप लगा रही है वहीं दूसरा धड़ा चुप्पी साधे हुए है जो किसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है?
क्योंकि अब इस गैर राजनीतिक संगठन का राजनीतिक वर्जन भी आ चुका है ऐसे में राजनीतिक दांव पेज भी लाजिमी है!
जिस साफ गोइ से JCP के केंद्रीय अध्यक्ष अमित बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य पर कार्रवाई को बबूल और आम के पेड़ का उदाहरण देकर समझाया और अपने सेनानियों के जेल यात्रा से जोड़कर इस कार्रवाई को अपना बदला बताया सब ने सुना, लेकिन वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर उनके संगठन परिवार से ही इस कार्रवाई को आम छत्तीसगढ़िया को दबाने की बात लिखी जा रही है जिससे बीजेपी एकबार फिर से अमित बघेल को भूपेश की B टीम बताने से नही चूक रही!
बीजेपी लगातार यह आरोप भी लगाती रही है की अमित बघेल की CKS को कांग्रेस किसी हथियार की तरह इस्तेमाल करती रही लेकिन जब भूपेश की सरकार बन गई तब भूपेश ने सेना को बंद करने कहा और यही बात अमित बघेल को रास नहीं आई, जिसका जिक्र कोरबा के सेना पदाधिकारी सोशल मीडिया में अभी कर भी रहे हैं, सेना के लोगों का यह भी आरोप है की उनकी ताकत और छत्तीसगढ़िया वाद का नाम लेकर सत्ता में आई भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता पाकर सेना को कुचलने की साजिश की थी और शायद इसी लिए अमित बघेल ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी JCP बना कर भूपेश बघेल को चुनौती दी और तीसरा मोर्चा जेसीपी को छत्तीसगढ़ राज्य में स्थानीय राजनीतिक के विकल्प जैसा टाइटल देते हुए अपने उम्मीदवार उतारे और जैसा कि आप सब ने देखा कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी, यह बात अमित बघेल हर मंच से कहते भी सुने जाते हैं की जो सेना से टकराते हैं उनका हाल यही होता है, वे कहते हैं की इससे पहले रमन सरकार ने भी उसे जेल भेजा और उसकी सरकार चली गई बाद में भूपेश बघेल सरकार ने भी वही गलती की और अब उसकी भी सरकार नही है!
ऐसे में सेना का स्टैंड लोगों की समझ से परे है की आखिर वे छत्तीसगढ़िया वाद के चोले में कभी भूपेश बघेल का विरोध करते हैं तो कभी समर्थन?
JCP और CKS से जुड़े लोगों की भावना राजनीतिक है या अराजनीतिक यह समझ से परे है लेकिन एक चीज जो साफ दिखती है वह है स्थानीय लोगों का पक्षधर होना!
तो क्या स्थानीय नेता कितना भी भ्रष्ट हो पापी हो अत्याचारी हो बस इसी शर्त पर उसका समर्थन बनता है की वह स्थानीय है?
वहीं दूसरी ओर CKS के ही दो गुटों में वर्चस्व की लड़ाई जारी है एक गुट दूसरे गुट पर आरोप मढ रहे और आम जनता को अपने निर्माण और उपस्थिति की सच्चाई बता रहे हैं?

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