राखी
यह दिन मुझे बहुत तकलीफ देती है इसलिए नही की मेरी कोई सगी बहन नही बल्कि इस लिए जिसे बहन माना उसने राखी को अपमानित किया था।
बात तब की है जब मैं स्कूल में था कोई बहन नही थी तो पड़ोस की काकी ने अपनी बेटी को मुझे राखी बांधने भेज दिया, मुझे भी अच्छा लगा और मैंने यह बंधन निभाया भी।
कॉलेज का वक्त था रायपुर आना जाना शुरू हुआ, एक दिन उस राखी बहन को अनजान लड़के के साथ घूमते देखा और पास जाकर पूछ लिया, तुम्हारा दोस्त है क्या?
लड़का मुझे पसंद नही आया और किसी भाई को ऐसा देख कर कहां अच्छा लगता है भला?
मैंने लड़के की कुंडली निकाली पता चला लफूट था, मैंने राखी बहन से बस इतना कहा, इससे दूर रहना, उसने मुझे उस वक्त जो बात कही, अब मैं किसी पड़ोस की काकी की लड़की से राखी नही बंधवाता!
मेरी राखी बहिन ऐसा तूनकी, खुद को क्या मेरा सगा भाई समझते हो, पड़ोसी हो रिश्तेदार बनने की कोशिश मत करो, आइंदा मेरे मामले में दखल दिया या मेरे मां पापा से इस बारे में कान भरे तो ठीक नही होगा, एक राखी क्या बांध दी अधिकार जताने चला है।
उस दिन और आज का दिन मुंह बोले रिश्तों में मैंने विश्वास खोजना छोड़ दिया।
ऐसा बिल्कुल नहीं है सभी इस तरह हों पर हां, रिश्ते भावनाओं से बनते हैं उसका सम्मान न कर सको तो मत जोड़ो, बहुत दर्द होता है?
गजेंद्ररथ गर्व