रहस्यों से भरा है यह गुफा, जहां होती है मनोकामना पूरी….जानिए
जहां विराजमान हैं माता के तीन स्वरूप
नगरी से रिपोर्टर देवेन्द्र सेन
धमतरी जिले के सिहावा स्थित महेंद्रगिरी पर्वत जो कि सप्तऋषियों में से एक श्रृंगी ऋषि का तपोस्थल भी है साथ ही इस पर्वत को भगवान परशुराम की तपोभूमि भी माना जाता है।
इस पर्वत के निचले हिस्से में एक अनोखा गुफा स्थित है जो कई रहस्यों और पौराणिक कथाओं से भरा हुआ है, इस गुफा का नाम है काली गुफा।
यह गुफा अत्यंत प्राचीन होने के साथ साथ धार्मिक महत्व को संजोए हुए हैं।
इस गुफा के अंदर एक कोने पर अंधेरे और सुनसान जगह पर माता काली, माता दुर्गा और माता चंडी विराजमान है, जहां चैत्र एवं क्वांर नवरात्र के अवसर पर श्रद्धालुओं के द्वारा मनोकामना दीप प्रज्ज्वलित की जाती है।
गुफा में स्थित है माता काली के पदचिन्ह!
काली गुफा के पुजारी देवीराम पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि रामायण काल में जब अहिरावण का वध करने के लिए माता सीता ने माता काली का विकराल रूप लिया था उसके बाद इसी स्थान पर आकर वह शांत हुई थी और जिस जगह पर उनके चरण पड़े उस जगह पर आज भी मां काली का पदचिन्ह अंकित है जो कि गुफा के अंदर एकदम कोने पर स्थित है।
मनोकामना ज्योत होती है प्रज्वलित
पुजारी ने बताया कि इस गुफा में मातारानी का दर्शन करने जो श्रद्धालु आते है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है जिससे वे क्वांर और चैत्र नवरात्र के अवसर पर यहां पहुंचकर मनोकामना ज्योत जलाते हैं। इस चैत्र नवरात्र पर कुल 9 मनोकामना ज्योत जलाई गई है जो कि सिहावा अंचल के साथ गरियाबंद, कांकेर, बस्तर और उड़ीसा क्षेत्र के भी श्रद्धालु शामिल हैं। सावन के महीनों में भी इस गुफा में लोग काफी संख्या में दर्शन करने पहुंचते हैं।
आस्था के साथ रोमांच भरा है यह गुफा
हमारे संवाददाता जब इस गुफा में प्रवेश किए तब वहां कुछ श्रद्धालु दर्शन कर वापस लौट रहे थे उनसे जानकारी मिली कि यह रास्ता बड़े बड़े पत्थरों और चट्टानों से लदा पड़ा है और इन संकरी रास्तों पर ध्यान और सावधानी बहुत जरूरी है।
यह गुफा पहाड़ और जंगलों से घिरा होने के कारण गुफा के रास्ते से ही तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा आदि जंगली जानवर पहाड़ से उतरकर नीचे स्थित तालाब में पानी पीने आते जाते है, खासकर जब लोगो की आवाजाही कम होती है तब इस गुफा में अकेले जाना आसान नहीं है। पुजारी जी ने आगे बताया कि इस गुफा में आज तक किसी जंगली जानवर का मानव पर हमला नही हुआ है।
गुफा के ऊपर है मधुमक्खियों के कई छत्ते
जब संकरी रास्तों और पत्थरों से चिपककर इस गुफा को पार करके आगे बढ़ते है तब गुफा के ऊपरी हिस्से पर मधुमक्खियों के कुछ छत्ते दिखलाई पड़ते हैं जहां की मधुमक्खियां आसपास में मंडराती रहती हैं।
इन मधुमक्खियों के बारे में पुजारी जी ने बताया कि यह मधुमक्खियां प्रायः इसी जगह पर रहती हैं, इन छत्तों के नीचे खाली जगह होने के कारण नवरात्र में नवकन्या पूजन इसी स्थान पर किया जाता है, उन्होंने आगे बताया कि इन मधुमक्खियों ने आजतक किसी व्यक्ति पर हमला नही किए हैं ।
यह सब मातारानी की कृपा के कारण ही संभव है।