मीडिया पर पाबंदी, विरोध जारी रहेगा: प्रफुल्ल ठाकुर, अध्यक्ष प्रेस क्लब रायपुर

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मीडिया पर पाबंदी, विरोध जारी रहेगा
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छत्तीसगढ़ के शासकीय अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर पाबंदी लगाने संबंधी दिशा-निर्देश को लेकर पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन जारी है।

बुधवार शाम रायपुर प्रेस क्लब के नेतृत्व में राजधानी के पत्रकारों ने चिकित्सा शिक्षा सचिव की ओर से जारी तुगलकी फरमान की प्रतियां जलाकर अपना विरोध जताया।

पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि वे इस तरह के किसी भी असंवैधानिक आदेश-निर्देश को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। संविधान में निहित अभिव्यक्ति की आजादी के तहत वे गरीब, वंचित, शोषित और पीड़ित लोगों की आवाज उठाते रहेंगे। सच दिखाते रहेंगे। चाहे इसके लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन के बाद देर शाम स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल का एक बयान जारी हुआ, जिसमें वे बड़ी सफाई से गोल- मोल बातें करते नजर आए। उन्होंने पाबंदी के आदेश को वापस लेने की बात तो कही, लेकिन लिखित आदेश की बात विदेश दौरे पर गए सचिव के पाले में डाल दी।

हमारा कहना है, जिस तरह पाबंदी का निर्देश लिखित में जारी हुआ है, उसी तरह पाबंदी हटाने का निर्देश भी लिखित में जारी होना चाहिए। मौखिक आश्वाशन से काम नहीं चलेगा। क्योंकि मंत्री जी की बातों पर भरोसा करके पत्रकारों ने एक बार देख लिया है।

मेकाहारा वाले मामले में माननीय मंत्री महोदय ने मोबाइल पर बात करते हुए सार्वजनिक रूप से असमाजिक तत्वों और गुंडागर्दी करने वालों को मिट्टी में मिला देने की बात कही थी, लेकिन बाद में पत्रकारों के खिलाफ ही पाबंदी वाला निर्देश जारी करवा दिया। इसलिए इस बार पत्रकार उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।

दूसरी बात, चिकित्सा शिक्षा सचिव विदेश दौरे पर हैं तो क्या उनके ऊपर कोई अधिकारी नहीं हैं ? जो मंत्री जी के कथनानुसार, लिखित में पाबंदी के आदेश को निरस्त कर सकें। सचिव के ऊपर तो प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव होते ही हैं। तो सचिव के छुट्टी पर होने का बहाना आखिर क्यों किया जा रहा है ?

तीसरा, इतने विरोध प्रदर्शन और प्रदेशभर से आ रही तीखी प्रतिक्रियाओं के बावजूद माननीय मंत्री जी ने पत्रकारों के किसी प्रतिनिधि मंडल, रायपुर प्रेस क्लब के किन्हीं पदाधिकारियों के साथ बैठकर बातचीत करने की जरूरत नहीं समझी। उल्टे एक गोल-मोल बयान जारी कर पत्रकारों को बरगलाने की कोशिश की।

इन सभी बातों से पत्रकारों के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री की मंशा स्पष्ट है। मंत्री जी बिल्कुल भी नहीं चाहते कि पत्रकार स्वास्थ्य विभाग में फैली अव्यवस्था और अराजकता की खबरें दिखाएं। स्वास्थ्य विभाग छत्तीसगढ़ का सबसे बीमार, बदनाम और भ्रष्ट विभाग है। स्वास्थ्य विभाग की खामियों को दूर करने की बजाय स्वास्थ्य मंत्री जी खामियों को दिखाने वाले पत्रकारों पर ही पाबंदी लगा रहे हैं।

माननीय मंत्री जी, आपके इस तुगलकी फरमान के खिलाफ प्रदेशभर के प्रेस क्लब एकजुट हैं। पत्रकार संगठन एकजुट हैं। पत्रकार एकजुट हैं। आश्वासन से काम नहीं चलेगा। जब तक पाबंदी हटाने संबंधी निर्देश लिखित में जारी नहीं होते, तब तक पत्रकारों का विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। आने वाले दिनों में इस मीडिया पाबंदी के खिलाफ हम और पुरजोर तरीके से आवाज उठाएंगे।

पत्रकारों को हल्के में लेना हमेशा सबको भारी पड़ा है। याद रखिएगा।

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