पोलावरम बांध से सुकमा हो जायेगा खत्म! PM मोदी और 4 राज्यों के मुखिया कल करेंगे बैठक! पढ़ें पूरा मामला

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रायपुर: आंध्रप्रदेश की सीमा पर बन रहे पोलावरम बांध का छत्तीसगढ़ में व्यापक असर पड़ेगा. इस बांध की वजह से सर्वाधित प्रभावित सुकमा जिला है, जहां के कोंटा सहित 9 गांव में बसर करने वाले करीबन 40 हजार दोरला आदिवासियों की बसाहट उजड़ जाएगी. अब इस विवाद के निपटारे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कल याने 28 मई को छत्तीसगढ़ सहित चारों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अहम बैठक दिल्ली में होगी।

बैठक में मुख्यमंत्री के साथ मौजूद राज्य के जल संसाधन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी भी भाग लेंगे. बैठक में भूमि डूब, आदिवासी विस्थापन और पुनर्वास जैसे मुद्दे पर बढ़ते अंतर-राज्यीय तनाव का सवर्मान्य समाधान खोजने में प्रधानमंत्री मोदी की सीधी मध्यस्थता निर्णायक साबित हो सकती है।
बता दें कि पोलावरम परियोजना भारत के आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना है. इसका उद्देश्य सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, पेयजल आपूर्ति और कृष्णा नदी बेसिन में जल मोड़ प्रदान करना है. यह परियोजना पश्चिमी गोदावरी जिले के रामय्यापेटा गाँव के पास स्थित है।
इस परियोजना को 4,36,825 हेक्टेयर के सकल क्षेत्र की सिंचाई के लिए डिज़ाइन किया गया है।
जल विद्युत: इससे 960 मेगावाट जल विद्युत उत्पन्न होने की उम्मीद है।
पेयजल: इस परियोजना का उद्देश्य 611 गाँवों की 28.50 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराना है।
जल मोड़: इसमें 80 टीएमसी पानी को कृष्णा नदी बेसिन में मोड़ने का प्रस्ताव है।
अन्य लाभ: इस परियोजना का उद्देश्य नौवहन सुविधाएँ, मत्स्य पालन विकास, मनोरंजन प्रदान करना और शहरीकरण में योगदान देना भी है।

2014 में घोषित हुआ राष्ट्रीय परियोजना
इस परियोजना की परिकल्पना 1980 में गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण (GWDT) की सिफारिशों के हिस्से के रूप में की गई थी. इस परियोजना ने 2005 के बाद गति पकड़ी और इसे आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के तहत राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया।

छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे सीम्रांध में बन रहे पोलावरम बांध की ऊंचाई 150 फीट से ज्यादा नहीं करने के लिए विधानसभा में साल 2016 में सर्वसम्मति पारित किया था. लेकिन 150 फीट के संकल्प को नकारते हुए बांध का निर्माण लगभग 177 फीट ऊंचाई के साथ अपनी गति से चल रहा है. ऐसे में कोंटा के 40 हजार दोरला आदिवासियों का घर उजाडना लगभग तय माना जा रहा है।

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