पत्रकारिता संकल्प महासम्मेलन रायपुर में आयोजित, क्यों एकजुट हुए पत्रकार?

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छत्तीसगढ़ के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा पत्रकारों का ये “महाकुम्भ”

”पत्रकार संकल्प महासभा” में पूरे प्रदेश से शामिल हुए हजारों पत्रकार।

पत्रकारों के ऊपर हो रहे अत्याचार और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की उठी माँग।

प्रतिनिधि मण्डल द्वारा राजभवन पहुँच राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन।

02 अक्टूबर गाँधी जयंती के दिन राजधानी के गॉस मेमोरियल में आयोजित पत्रकार संकल्प महासभा का कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। पत्रकारों के इस महाकुम्भ में प्रदेश के 30 से भी ज्यादा पत्रकार संगठनों ने हिस्सा लिया और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने सहित पत्रकारों के हितों से सम्बंधित अन्य मांगों को लेकर राजभवन पहुँचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पत्रकारों पर हमले लगातार होते आ रहे हैं। बदसलूकी, मारपीट और झूठे मामलों में फँसा कर जेल भेजने की साजिश अनवरत जारी है। छत्तीसगढ़ में पूर्व में कांग्रेस की सरकार थी और अब भाजपा की सरकार है, परन्तु पत्रकारों की सुरक्षा और हक की चिंता किसी भी सरकार को नहीं है। केवल भाषणों में ही चीख-चीख कर पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है और उनकी सुरक्षा का ढिंढोरा पीटा जाता है।
वास्तव में देखा जाय तो सत्य और न्याय की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकारों के ऊपर निरंतर अत्याचार हो रहे हैं, इन्हीं सब बातों को लेकर आज पूरे प्रदेश के हजारों कलमकारों ने रायपुर के ग्रास मेमोरियल में एक मंच पर एकत्रित होकर महासभा का रूप दिया। मंच पर पीड़ित पत्रकारों ने अपनी-अपनी आपबीती साझा की और मंचस्थ वरिष्ठ पत्रकारों ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार से तत्काल पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की माँग की और पत्रकारों को शासन की ओर से विभिन्न सुविधाएं देने का प्रस्ताव रखा।

 

पत्रकारों के उद्बोधन पश्चात् प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को लेकर राजभवन पहुँचे और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दरमियान पीड़ित पत्रकारों ने भी सामूहिक रूप से ज्ञापन सौंपते हुए अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की।
“पत्रकार संकल्प महासभा” छत्तीसगढ़ के इतिहास में पत्रकारों का ऐसा प्रथम महाकुम्भ साबित हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ के समस्त पत्रकारों की एकजूटता दिखाई दी। सभी पीड़ित पत्रकारों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए मंच के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाई और न्याय की गुहार लगाई। अब देखना यह है कि चौथे स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारों की इस जायज और बुलंद आवाज पर शासन कब नींद से जागेगी?

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