भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की सदस्यता अभियान छत्तीसगढ़ में जोर-शोर से चल रही है इस बीच यह खबर आश्चर्य करने वाली है!
सदस्यता अभियान को लेकर है यहां खरोरा में बहुत से लोग ऐसे हैं जो पहले भाजपा के सदस्य बने और फिर उन्हें कांग्रेस ने भी अपना सदस्य बना लिया इस तरह से दोनों पार्टियों ने एक ही व्यक्ति को बारी-बारी अपनी पार्टी का सदस्य बना लिया अब ऐसे में जब दोनों दल अपने सदस्यों का आंकड़ा पेश करेंगे तब नगर की जनसंख्या के हिसाब से आंकड़ा डबल ना हो जाए!
एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने फोटो सहित एक यूनिक नंबर अपने सदस्यों को जारी किया है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने केवल मेंबरशिप नंबर ही मोबाइल पर भेजे हैं फोटो परिचय पत्र होने के कारण भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की पहचान चेहरे मोहरे से हो रही है लेकिन वही कांग्रेस पार्टी ने दो धारी तलवार पर चलने वाले तथाकथित सदस्यों के लिए सुनहरा मौका दिया है, कम से कम उनके छायाचित्र कांग्रेस पार्टी के पास नहीं है वहीं दूसरी ओर भाजपा फोटो परिचय पत्र के साथ व्यक्ति विशेष को अपना सदस्य बताने का दवा कर सकती है!
पहचान छुपाने की शर्त पर युवक ने बताया कि पहले तो भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता उसके घर आया और उसकी सदस्यता ऑनलाइन दर्ज कर दी वही एक दूसरे युवक ने बताया की पार्टी की सदस्यता मैंने यूं ही ले ली और जब कांग्रेस के लोग आए तो मैंने उनकी भी सदस्यता ले ली ऐसे में एक बड़ा गड़बड़ झाला आंकड़ों को लेकर हो सकता है!
एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा सदस्यों वाली राष्ट्रीय राजनीतिक दल होने का दावा कर रही है वहीं इन दावों के आधार स्तंभ बने बहुत से युवा मजे मजे में कांग्रेस के भी सदस्य बन बैठे हैं!
ऐसे में दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के सदस्यता अभियान पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह उठना है की क्या उनके सदस्यों के आंकड़े प्रमाणिक होंगे?
क्योंकि जिनको भाजपा ने अपना सदस्य बनाया है वही लोग कांग्रेस के भी सदस्य बन रहे हैं!
बहुत से लोगों ने सदस्यता अभियान को लेकर कहा कि परिचित के लोग आते हैं और उन्हें मना भी नहीं किया जा सकता ऐसे में हमने दोनों पार्टियों की सदस्यता ले ली और इस बीच कोई तीसरी पार्टी भी परिचित के लोगों के साथ आ जाए तो उन्हें भी मना नहीं कर पाएंगे!
उन्होंने यहां तक कहा की खुद सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता ही इस बात को लेकर गंभीर नहीं है इसे केवल आंकड़ों की भरपाई के लिए किए जाने वाला अभियान बता रहे हैं।
बात कुछ भी हो लेकिन ढोल की पोल तब खुलेगी जब दोनों ही पार्टियां अपने सदस्यों के आंकड़े पेश करेंगे, कहीं ऐसा ना हो जाए कि देश की जनसंख्या उनके आंकड़ों में दोगुनी झलके?
सौ बात की एक बात लोगों को किसी दल विशेष से मतलब नहीं है बल्कि उन दलों से जुड़े हुए उनके अपने लोगों से संबंध निभाने के चक्कर में वह भाजपा के भी सदस्य बन रहे हैं और कांग्रेस के भी?
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