छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली मितानिनों ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। 7 अगस्त से शुरू हुआ यह संभाग स्तरीय धरना-प्रदर्शन अब चौथे दिन सरगुजा संभाग में पहुंच चुका है। नया रायपुर के तूता धरना स्थल पर बड़ी संख्या में मितानिनें पहुंच रही हैं, जिससे माहौल पूरी तरह आंदोलनीय हो गया है।
सरकार से वादाखिलाफी का आरोप
मितानिन संघ की प्रवक्ता सपना चौबे ने सरकार पर वादा निभाने में विफल रहने का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मितानिन, प्रशिक्षक, हेल्प डेस्क फैसिलिटेटर और कोऑर्डिनेटर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत लाने का वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। इस वजह से मितानिनों में नाराजगी गहराती जा रही है और आंदोलन को मजबूरी में तेज करना पड़ रहा है।
आंदोलन का संभागवार शेड्यूल
8 अगस्त को दुर्ग संभाग की मितानिनों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। 9 अगस्त को बिलासपुर संभाग में आंदोलन हुआ, जबकि 10 अगस्त को सरगुजा संभाग की मितानिनें सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं। इसी कड़ी में 11 अगस्त को बस्तर संभाग की मितानिनें सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगी।
प्रदेशव्यापी असर और राजनीतिक दबाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर प्रदेश की राजनीति में भी दिख सकता है। मितानिनें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का पहला आधार होती हैं, और इनके आंदोलन से सरकारी स्वास्थ्य ढांचा चरमरा सकता है।
जनता की सहानुभूति और बढ़ती चर्चा
सोशल मीडिया पर भी मितानिनों का मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है। ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों से लोग इनके समर्थन में आवाज उठा रहे हैं। कई नागरिक संगठन और स्थानीय नेता भी मितानिनों की मांगों को जायज बताते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।