सीएम विष्णुदेव साय ने पद्मश्री सम्मान पाने वाली हस्तियों के लिए अहम फैसला किया है। साय सरकार अब इन विभूतियों की सम्मान राशि 5 हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने का ऐलान किया है। यानी अब हर महीने इन हस्तियों को 10 हजार रुपए मिलेंगे।छत्तीसगढ़ में पद्यश्री सम्मान पाने वाली 29 हस्तियां हैं। जिनमें तीजनबाई ऐसी विभूति हैं जिन्हें पद्मश्री, पद्मविभूषण और पद्मभूषण, तीनों श्रेणियों में नवाजा गया है।
सीएम विष्णुदेव साय ने पद्मश्री सम्मान पाने वाली हस्तियों की सम्मान राशि 5 हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने का ऐलान किया है।
सीएम विष्णुदेव साय ने पद्मश्री सम्मान पाने वाली हस्तियों के लिए अहम फैसला किया है। साय सरकार अब इन विभूतियों की सम्मान राशि 5 हजार रुपए से बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने का ऐलान किया है। यानी अब हर महीने इन हस्तियों को 10 हजार रुपए मिलेंगे।छत्तीसगढ़ में पद्यश्री सम्मान पाने वाली 29 हस्तियां हैं। जिनमें तीजनबाई ऐसी विभूति हैं जिन्हें पद्मश्री, पद्मविभूषण और पद्मभूषण, तीनों श्रेणियों में नवाजा गया है।
सीएम साय ने यह घोषणा गुरुवार को रायपुर के सर्किट हाउस में छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस कार्यक्रम में की।
‘छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का विलय खत्म’
कार्यक्रम में सीएम साय ने साहित्य परिषद में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के विलय को भी समाप्त करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, राजभाषा छत्तीसगढ़ी को बढ़ावा देने का कार्य करता रहेगा। बता दें, इससे पहले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का साहित्य परिषद में विलय कर दिया गया था।
साहित्यकारों का सम्मान
सीएम ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के छह साहित्यकारों को शॉल-श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखी गई 12 पुस्तकों का विमोचन भी किया।
‘छत्तीसगढ़ी को राजभाषा सम्मान देना जरूरी’
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, छत्तीसगढ़ी भाषा को लोकप्रिय बनाने और राजभाषा का सम्मान देने के लिए यह जरूरी है कि हम छत्तीसगढ़ी भाषा में बातचीत करें और नई पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा छत्तीसगढ़ी बोलना सिखाएं। उन्होंने साहित्यकारों से छत्तीसगढ़ी भाषा में उपन्यास, कविता और इतिहास का लेखन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, विधानसभा में सदस्य छत्तीसगढ़ी में अपना संबोधन दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा, सांसद के रूप में वे छत्तीसगढ़ी को संविधान की आठवें अनुसूची में शामिल कराने का प्रयास करेंगे।
‘पिछली सरकार की गलती को सुधारने का काम साय सरकार करे’
छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच के संरक्षक और संघ के पूर्व प्रचारक नंदकिशोर शुक्ल ने कहा, साल 2003 के समय में जो गलती पूर्व की सरकार से हुई है अब उसे सुधारने का काम साय सरकार को करना चाहिए, क्योंकि महतारीभाषा में पढ़ाई-लिखाई की गारंटी मोदी सरकार की है। इस गारंटी को साय सरकार पहली प्राथमिकता में पूरी करे, लेकिन इसके साथ-साथ साय सरकार को छत्तीसगढ़ राज्य को ‘ख’ वर्ग में शामिल करने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास कर तत्काल केंद्र सरकार भेज देनी चाहिए।
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में पद्श्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे और डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी., संचालक संस्कृति एवं राजभाषा विवेक आचार्य ने छत्तीसगढ़ी राजभाषा में संबोधन दिया।