छत्तीसगढ़ राज्य अब अपने स्थापना के 25वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और पूरे राज्य में उत्सव का माहौल है। इस रजत जयंती के बीच, राज्य के छत्तीसगढ़ी भाषी होने का मुद्दा भी जोर पकड़ता जा रहा है।
दरअसल, राज्य गठन के समय केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से पूछा था कि छत्तीसगढ़ को क वर्ग (हिंदी भाषी) में रखा जाए या ख वर्ग (प्रादेशिक भाषी)। लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया, जिससे छत्तीसगढ़ को क वर्ग (हिंदी भाषी) में शामिल कर लिया गया।
विधि मंत्री को दस्तावेजों के साथ एक मांग पत्र सौंपा
अब यह मामला एक बड़ा मुद्दा बन चुका है और इसी मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ीभाषी प्रतिनिधिमंडल ने विधि मंत्री अरुण साव से उनके निवास पर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल की ओर से साहित्यकार और प्राध्यापक डॉ. सुधीर शर्मा ने विधि मंत्री को दस्तावेजों के साथ एक मांग पत्र सौंपा। डॉ. शर्मा ने केंद्र और राज्य सरकार के बीच 2002 और 2003 में हुए पत्राचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इस मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से प्रयास करेगी: साव
विधि मंत्री अरुण साव ने प्रतिनिधिमंडल से हुई चर्चा में इसे एक महत्वपूर्ण विषय मानते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से प्रयास करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ी अस्मिता हमारी महतारी अस्मिता है और इस विषय पर सभी ने ध्यान आकर्षित किया है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि छत्तीसगढ़ी भाषा और छत्तीसगढ़ियों के साथ न्याय किया जाए।
अक्टूबर महीने में छत्तीसगढ़ीभाषियों का हुआ था बड़ा सम्मेलन
इससे पहले, अक्टूबर महीने में रायपुर में छत्तीसगढ़ीभाषियों का एक बड़ा सम्मेलन हुआ था, जिसमें विशेष रूप से छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल भी शामिल हुए थे।
छत्तीसगढ़ीभाषी प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी, मनोज सिंह बघेल, सत्यपाल सिंह, वरिष्ठ रंगकर्मी विजय मिश्रा, विकास शर्मा, छात्र संगठन के ऋतुराज साहू, संजीव साहू और मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के संयोजक डॉ. वैभव बेमेतरिहा भी शामिल थे।