छत्तीसगढ़ी के लिए था सम्मान अब उसमे हिंदी शामिल क्यों? राजपत्र के खिलाफ फैसला कौन कर रहा…यहां पढ़िए!

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सुंदर लाल शर्मा सम्मान आँचलिक साहित्य यथावत रखने की मांग

रायपुर: राज्योंत्स्व में प्रति वर्ष सरकार द्वारा राज्य अलंकरण सम्मान प्रदान किया जाता है, इसी कड़ी मे विगत वर्षों से प्रदेश के आँचलिक साहित्य सम्मान पंडित सुंदर लाल शर्मा के नाम पर दिया जाता रहा है, यह सम्मान राजपत्र में साहित्य /आँचलिक साहित्य के नाम पर पूर्व से अंकित है, लेकिन इस बार इसे संसोधन कर हिंदी साहित्य कर दिया गया है।

एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ऋतुराज साहू ने पंडित सुंदर लाल शर्मा सम्मान को पूर्व के तरह ही आँचलिक साहित्य रखने की मांग की है, साहू का कहना है की सुंदर लाल शर्मा सम्मान शुरू से आँचलिक साहित्य के लिए तय किया गया है।

जिसमें अब तक डॉ विनय पाठक, डॉ परदेशी राम, डॉ सुरेन्द्र दुबे, पालेश्वर शर्मा, हरिहर वैषणव, रामेश्वर वैष्णव, मीर अली मीर जैसे छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों को प्राप्त है, लेकिन इसे संसोधित करके हिंदी साहित्य कर दिया जाना समझ से परे है, अगर हिंदी जगत को सम्मान देने का कार्य किया जाना है तो इसके लिए अलग से नए पुरस्कार तय किया जाना चाहिए।

पंडित सुंदर लाल शर्मा जी छत्तीसगढ़ी के लिए जाने जाते है उनकी काव्य दानलीला छत्तीसगढ़ी में ही प्रसिद्ध है, ऐसे छत्तीसगढ़ी साहित्यकार के नाम के पुरस्कार मे संसोधन करना छत्तीसगढ़ी के साथ नाइंसाफी होंगी, एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन ने इस मामले में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संस्कृति मंत्री, सांसद रायपुर, उपमुख्यमंत्री, वित्तमंत्री, सचिव संस्कृति, एवं सामान्य प्रशासन सहित सभी जिम्मेदार अधिकारियों से पत्र व्यवहार किया है और इस सम्मान को पहले की तरह आँचलिक साहित्य के लिए रखने की मांग की है।

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