आइए बातें करें, खुशी और सफलता की तो करते हैं! परेशानियों को,दर्द को, समस्याओं को भी कहें एक दूसरे से…समाधान हमारे आसपास ही होता है।
बिलासपुर में एक महिला ने fb पर लाइव आकर आत्महत्या कर ली, इल्ज़ाम पड़ोसियों पर लगा है, समझ सकते हैं कैसी मनोदशा रही होगी, कितना परेशान रही होगी जो आत्महत्या जैसा कदम उठाई! आखिर इतने लंबे वक़्त से कुछ लोग जिनका उन्होंने नाम लिया है अपने अंतिम बयान में, उन्हें पुलिस ने छूट क्यों दे रखी थी अब तक ? या पीड़ित ने कभी शिकायत ही नही की!
पीड़िता ने कई बार इसकी शिकायत जरूर की होगी ! तब आखिर प्रशासन मौन क्यों रही?
बीते महीने ठीक वैसी घटना राजधानी से सटे हुए धरसींवा विधानसभा के दोन्दे में भी हुआ।
एक युवक में चिट्ठी लिख कर आत्महत्या कर ली, कहा जाता है कि उसने चिट्ठी में अपने सत्तासीन पार्टी के नेताओं और पुलिस के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया था लगाया, मृतक का अंतिम पत्र भी अब तक मीडिया को अप्राप्त है, खुसफुसाहट यह भी थी कि क्षेत्रीय विधायक को भी चिट्ठी में जिम्मेदार बताया गया था ऐसे में कैसे यह पत्र सार्वजनिक होती? हुई भी नही!
दरअसल वर्तमान में राजनीति हर मसले में टांग घुसेड़ती है!
थाने में जब कोई प्रार्थी पहुंचता है उससे पहले कई रसूखदारों के कॉल से बेबस पुलिसिंग दहली होती है!
हर कोई यहां मंत्रियों के खास और घरेलू होने का दम्भ भरता है!
ऐसे में वे मध्यम लोग जिन्हें कानून पर भरोसा होता है और उसी भरोसे के साथ वे थाने आते हैं लेकिन जब वहां भी उन्हें अपना स्वाभिमान बचाना मुश्किल दिखता है वे मौत को चुन लेते हैं, हमारे देश की कानून व्यवस्था वैसे भी सौ अपराधी छूट जाए पर एक भी निर्दोष को सजा न हो के पैटर्न पर काम करती है!
इसी बात का फायदा रसूखदार उठाते हैं!
आत्महत्या करना आसान कदम नही होता होगा, कितनों बार मन मस्तिष्क के ज्वार भाटे परिस्थितियों से टकराकर टूटते होंगे तब जाकर कोई अपनी खूबसूरत जिंदगी खत्म करने का मन बनाता होगा और उसे अंजाम तक पहुंचाने तक कैसी मनोदशा बनती होगी?
सोंच कर मन बैठ जाता है।
आइए हम सब एक दुसरे से बातें करें, न सिर्फ खुशी की सफलता की बल्कि परेशानियों की भी, दर्द का मरहम तलाशें तो सही, क्या पता किसके पास से हमारी समस्या का समाधान निकल आये!
Gajendra Rath Verma ‘GRV’