देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट किंग अदानी द्वारा स्थापित छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित अदानी पावर रायखेड़ा में विगत दो-तीन महीनों से ठेका मजदूरों की रुक-रुक कर हड़ताल जारी है, लगभग सारे मजदूर आसपास के गांव से हैं जो लगातार 8-10 वर्षों से अदानी परिवार का हिस्सा बने हुए हैं।
मजदूरों ने अदानी पावर द्वारा कभी भी किसी मजदूर को काम से बाहर कर देने या परप्रांतीय मजदूर और अपने बीच भेदभाव का आरोप भी लगाया है।
दरअसल सारे मजदूर चिचोली, रायखेड़ा, गैतरा, ताराशिव सहित आसपास के 10-12 गांव से हैं, जिन्हें प्रबंधन से मजदूरी दर श्रम नियम के मुताबिक शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सुविधा सहित कई मांगे हैं, जिसमें लैंड लूजर्स मजदूरों को नियमित रोजगार उपलब्ध कराना मुख्य है, जिसे लेकर सैकड़ों मजदूर अदानी पावर के मुख्य द्वार के सामने ही पंडाल लगाकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं।
इससे पहले भी जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने नेतृत्व की कमान संभाली थी और मजदूरों की मांगों को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था और इस मामले में तिल्दा एसडीएम को ज्ञापन देकर श्रम कार्यालय घेरने की चेतावनी दी थी, 15 दिनों का समय खत्म हो जाने के बाद जब इन मजदूरों ने एसडीएम तिल्दा से संपर्क किया तब उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला और एसडीएम द्वारा मजदूरों को ही अदानी प्रबंधन से मिलकर बात करने की समझाइए दे दी गई।
ऐसे में मजदूरों ने एक बार फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल का रास्ता चुना है, अब जब मजदूर हड़ताल कर रहे हैं तो उनके साथ उनका परिवार भी शामिल हो चुका है और बीवी बच्चों सहित सभी मजदूर धरना स्थल पर लगातार 24 घंटे बैठे हुए हैं।
इस मामले को लेकर अदानी पावर के जिम्मेदारों से बात हुई तब उनका कहना है कि वह बात करने के लिए तैयार हैं और मजदूरों को उनकी मांग पत्र के साथ एक कमेटी बनाकर प्रबंधन से बैठक करने की सहमति ली गई है पर अब तक हड़ताली मजदूरों की ओर से कोई चर्चा कमेटी की सूचना नहीं दी गई है, प्रबंधन का मानना है कि जिस तरह से मजदूर स्वास्थ्य और शिक्षा की मांगों को कंडिका में शामिल किए हैं, तो यह मामला CSR का है, जिसके लिए बाकायदा CSR की टीम लगातार काम कर रही है, उन्होंने यह भी सुझाव दिया है की आसपास के प्रभावित गांवों के मुखिया एक टीम बनाकर CSR प्रबंधन के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं के लिए काम कर सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर हड़ताल पर बैठे मजदूरों में नेतृत्व की कमी भी दिख रही है! जिसके चलते प्रबंधन के साथ सार्थक चर्चा नहीं हो पा रही है प्रबंधन ने मजदूरों को टेबल में बातचीत करने का आमंत्रण दिया है, अब देखना होगा की मजदूर अपनी मांगों को लेकर अदानी पावर प्रबंधन के साथ अपने संबंधों को कहां तक ले जाते हैं।
मजदूर लगातार राजनीतिक जनप्रतिनिधियों के बहकावे का शिकार होते रहे हैं, ऐसे में इस बार मजदूरों ने ग्राम पंचायत स्तर पर अपनी लड़ाई लड़ने की ठानी है, वहीं प्रबंधन का कहना है कि वे मजदूरों के सभी जायज मांगो के लिए तैयार हैं, क्योंकि यह उपक्रम स्थानीय लोगों के सहयोग से ही अपने निष्कर्ष तक जाने पर विश्वास रखती है और प्रभावित सभी ग्राम पंचायत उनके लिए उनका परिवार है।